
राजभासा दिवस बिसेस : छत्तीसगढ़ी सिरिफ नाव के राजभासा बन के रहि गे हे
२८ नवंबर 2007 के छत्तीसगढ़ विधानसभा म छत्तीसगढ़ी ल राजभासा के दरजा दे खातिर विधेयक पारित करे गे रहिस। तब ले हमन 28 नवम्बर के दिन ल छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस के रूप म मनावत आत हन। 16 बछर होगे हवय छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बने, फेर अब तक राज-काज के भासा नइ बन पाइस, ऐहा चिंता के बिसय हे।
पाठ्करम म छत्तीसगढ़ी भासा ला सामिल करें के मांग कतकोन बच्छर ले उठत रहिस। पराथमिक स्तर म कक्छा पहली ले पांचवीं तक कम से कम एक बिसय छत्तीसगढ़ी ल खच्चित रूप से लागू करे के मांग ल सरकार पूरा तो करिस, फेर छत्तीसगढ़ी के संग दूसर छेतरीय बोली ल अलग अलग जगा पढ़ाए के उदीम कर के छत्तीसगढिय़ामन ल बांटे के काम सरकार हा कर दिस।
जब कोनो राज के भासा, साहित्य अउ संस्करीति के बिकास होही तभे सही मायने म उहां के मनखेमन के बिकास होही। छत्तीसगढ़ी म सरलता अउ सहजता लाए खातिर देवनागरी लिपि के जम्मो 52 बरन के परयोग होना चाही। संगे-संग दूसर भासा ले आए सब्द ल ज्यों के त्यों ले बर परही।
विडम्बना ही कहे जाय कि छत्तीसगढ़ी परायमरी स्कूल म लागू होय के पहिली ले एम. ए. के पाठ विस्वविद्यालय म पढ़ाए जात हवय। दूसर विडम्बना ए कि छत्तीसगढ़ी भासा फिलहाल तक रोजगारोन्मूलक नइ हे। एम. ए. करे के बाद युवामन बेरोजगार घूमत हवंय। यदि भासा ह रोजगारोन्मूलक नइ होही तब वो भासा ल कोनो काबर पढ़ही?
सवाल एहू हवय कि जब हिन्दी, अंगरेजी, संस्करीत सहित दूसर परदेस के भासा म पढ़े-लिखे युवामन बर रोजगार के अवसर हवय तब छत्तीसगढ़ी भासा के पढ़े -लिखे युवामन बर काबर नइए? यदि छत्तीसगढ़ी म एम. ए. करे युवा ल रोजगार नइ मिल सकय तब ए पाठ चलाय के का फायदा?
छत्तीसगढ़ी ल आठवीं अनुसूची म सामिल करे बर के बात कहे जाथे ए सिरिफ मन ल बहलाए के उदिम आय। पहिली अपन राज म तो छत्तीसगढ़ी ल राजकाज के भासा बना लव, फेर आठवीं अनुसूची कोती जाबोन। छत्तीसगढ़ी तो सिरिफ नाव के राजभासा हावय, काम तो होबे नइ करत हे। छत्तीसगढिय़ामन सरकार डहर देखत हवय छत्तीसगढ़ी कब बनही राजकाज के भाखा?
Published on:
27 Nov 2023 04:04 pm
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