
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में पंचायतों और नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 1 लाख 50 हजार शिक्षाकर्मियों को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया।
रायपुर. शिक्षाकर्मियों के 23 वर्षों से चल रहे संघर्ष को सोमवार को मुकाम मिल गया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में पंचायतों और नगरीय निकायों में कार्यरत करीब 1 लाख 50 हजार शिक्षाकर्मियों को स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया।
पहले चरण में 8 साल की सेवा पूरी करने वाले 1 जुलाई 2018 को 1 लाख 3 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन होगा। जुलाई 2019 में एक और आदेश निकलेगा, जिनसे 10 हजार शिक्षाकर्मियों को शिक्षक बनाया जाएगा। इसके बाद के हर वर्ष एक जनवरी और एक जुलाई को संविलियन का आदेश जारी होगा। इन वर्षों में शेष 38 हजार शिक्षाकर्मियों को लाभ मिलना है। इस फैसले से सरकार पर हर साल 1 हजार 346 करोड़ रुपए का वित्तीय भार पड़ेगा।
फैसले की जानकारी देते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा, प्रदेश में शिक्षा की गुणतत्ता एवं शैक्षिक प्रबंधन में एकरूपता लाने के लिए संविलियन का फैसला लिया गया है। उनका कहना था, भविष्य में धीरे-धीरे आठ साल की सेवा पूरी करने वाले सभी शिक्षाकर्मियों का संविलियन हो जाएगा। पहले चरण में 1 लाख 3 हजार शिक्षाकर्मियों का होगा संविलियन सरकारी कोष पर आएगा 1346 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार
अब स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से होगी भर्ती : मंत्रिपरिषद के फैसले के बाद भविष्य में स्कूल शिक्षा विभाग ही विषय विशेष के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए कार्रवाई करेगा। वर्तमान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग दोनों अपने-अपने स्तर पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी करते थे।
5. प्रतिमाह 7 हजार से लेकर 12 हजार रुपए तक वेतन में होगी वृद्धि।
छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों के दो अलग-अलग कैडर होंगे। इन्हें शिक्षा विभाग में एलबी-ई (लोकल बॉडी-एजुकेशन) और एलबी-टी (लोकल बॉडी-ट्राइबल) के नाम से जाना जाएगा। दोनों संवर्गों का प्रबंधन शिक्षा विभाग करेगा। आने वाले समय में विभागीय भर्ती और पदोन्नति नियम में बदलाव किया जाएगा। साथ ही राज्य एवं संभागीय कार्यालयों का सुदृढ़ीकरण व स्थापना किया जाएगा।
से ही मिलेगा। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षकों को 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ मिल रहा है।
मंत्रिपरिषद के फैसले के बाद शिक्षाकर्मियों का पद डाइंग कैडर घोषित हो जाएगा। अब शिक्षाकर्मी के पदनाम से न तो कोई भर्ती होगी और न पदोन्नति। गौरतलब है कि तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने 1994 में शिक्षकों के पद को डाइंग कैडर घोषित कर दिया था। राज्य निर्माण के बाद यह नियम छत्तीसगढ़ में भी लागू रहा है। इस वजह स्कूलों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की जगह शिक्षाकर्मियों की भर्ती शुरू की गई है।
तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने 1994 में स्कूलों में शिक्षक का पद खत्म कर दिया था। उसके बाद अध्यापन के लिए तदर्थ शिक्षकों का कई नामों से पद बना, जिसे बाद में शिक्षाकर्मी बना दिया गया। इन पदों पर नियुक्ति होने वालों का नियंत्रण जनपद पंचायतों और नगरीय निकायों के पास आ गया था। मतलब इन्हें राज्य कर्मचारी नहीं माना जाता था। शिक्षक और शिक्षाकर्मियों के वेतन और सुविधाओं में भारी अंतर था, जबकि दोनों एक ही काम कर रहे थे। इस वजह से असंतोष की स्थिति थी। इस फैसले के बाद शिक्षाकर्मियों का पद खत्म कर दिया गया है और इस पद पर तैनात लोगों को शिक्षा विभाग के नियंत्रण में दे दिया गया। अब शिक्षाकर्मियों को शिक्षकों को मिलने वाली तमाम सुविधाओं का लाभ मिलेगा।
Updated on:
19 Jun 2018 10:03 am
Published on:
19 Jun 2018 09:39 am
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