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रायपुर/राहुल जैन. Chhattisgarh Governor Anusuiya Uikey: छत्तीसगढ़ की नई राज्यपाल अनुसुईया उइके के कार्यभार ग्रहण करने के बाद राजभवन का माहौल बदला है। यहां पहली बार प्रदेश के आम लोगों के लिए खास बंदिशें टूटती दिख रही हैं। अब राज्यपाल से मुलाकात के लिए कागजी औपचारिकता से ज्यादा मिलने के लिए पहुंचे लोगों की समस्या हो गई है। मामला गंभीर है तो राज्यपाल खुद ही लोगों को मिलने बुला ले रही हैं। ऐसे कई मामले आ चुके हैं जब राज्यपाल ने औपचारिक शिष्टाचार का दायरा तोड़कर आम लोगों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।
राजभवन के अधिकारी बताते हैं कि ऐसा बदलाव लंबे अंतराल के बाद दिखा है। अनुसुईया उइके (Anusuiya Uikey) से पहले मध्यप्रदेश की राज्यपाल रहीं आनंदीबेन पटेल को छत्तीसगढ़ का प्रभार मिला था। अपने 11 महीने के कार्यकाल में वे बमुश्किल एक महीना ही छत्तीसगढ़ में बिता सकी थीं। उनसे पहले राज्यपाल रहे बलरामजी दास टण्डन अधिकतर बीमार रहते थे। इसकी वजह से उनसे मुलाकात के लिए कई बंदिशे लगीं। उनसे मुलाकात के लिए सपताह भर पहले आवेदन लगाना होता था, इसमें मुलाकाती का पूरा विवरण और कई तरह के दस्तावेज मांगे जाते थे। कई बार विपक्ष के विधायक भी उनसे मुलाकात का समय नहीं पाते थे। इसकी वजह से मदद की आस लेकर राजभवन पहुंचने वालों की संख्या भी कम हो गई थी।
अब सिर्फ चिडिय़ा बैठाने का काम नहीं
मौजूदा राज्यपाल की कार्यशैली सरकार के रबर स्टैंप बने रहने की नहीं दिख रही है। राज्यपाल की भूमिका में सक्रियता के दो उदाहरण अभी सामने आए हैं। अमूमन किसी विश्वविद्यालय के कुलपति चयन के लिए गठित सर्च कमेटी आवेदनों की जांच कर तीन नाम तय कर लेते हैं। उन्हीं नामों को राज्यपाल के सामने रखा जाता है, जिनमें से किसी एक को राज्यपाल अनुमोदित करते हैं। दुर्ग विश्वविद्यालय की सर्च कमेटी से राज्यपाल ने 10 नामों का पैनल मांगा है। अब राज्यपाल उन 10 लोगों के साथ एक-एक कर चर्चा करने के बाद अंतिम नाम तय करेंगी। वहीं विधानसभा से उनके हस्ताक्षर के लिए आए एक कानून को उन्होंने रोक लिया है। उन्होंने सहमति से पहले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से कानून में बदलाव के फायदों की जानकारी मांगी है।
पीड़ितों के लिए खुला राजभवन का दरवाजा
राजभवन में अब तक परंपरा रही है कि राज्यपाल से मुलाकात के लिए पहले से समय लेना पड़ता है। यदि अचानक कोई शिकायत लेकर पहुंचे तो राजभवन के अधिकारी ही ज्ञापन ले लेते थे। नई राज्यपाल के आने के बाद यह तरीका भी बदला है। राज्यपाल हर आने वाले की जानकारी ले रही हैं। अगर जरूरी लगा तो वे मुलाकात के लिए आए विशिष्ट मेहमानों को छोड़कर दरवाजे के बाहर शिकायत लेकर आए लोगों से मिल रही हैं। पिछले दिनों राजभवन पहुंचे फार्मेसी के विद्यार्थियों के साथ ऐसा ही हुआ। उनकी समस्या जानने के बाद राज्यपाल ने उन्हें न केवल अंदर बुलाया, बल्कि समाधान के लिए दो विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को तलब भी कर लिया।
बिना कार्यक्रम तय हुए पहुंच गईं धमतरी
राज्यपाल को किसी भी कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाना बहुत आसान नहीं होता है। इसके लिए एक औपचारिक प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। पिछले 9 अगस्त को सर्व आदिवासी समाज का प्रतिनिधिमंडल उनसे मुलाकात करने सुबह 11 बजे राजभवन पहुंचा। उन लोगों ने औपचारिकता मेंं राज्यपाल को धमतरी के वन क्षेत्र में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस आयोजन में मुख्य अतिथि बनने का आग्रह कर दिया। राज्यपाल ने उस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया। दो घंटे के बाद वे धमतरी पहुंचकर कार्यक्रम में शामिल भी हो गईं। वहां उन्होंने कलाकारों को इनाम के तौर पर नगद राशि भी दी। साथ ही विधिवत रूप से पूजा-अर्चना भी की।
समस्या सुलझाने की भूमिका
संवैधानिक दायरे में राज्यपाल ने यहां समस्या सुलझाने की अपनी भूमिका तय कर ली है। पिछले दिनों उन्होंने माओवादी हिंसा के समाधान के लिए सरकार और आदिवासी समाज के साथ चर्चा कराने की बात कही। उनके पास शिकायत लेकर पहुंचे लोगों से वे कहती है, अपनी समस्याएं एक दिन पहले राजभवन पहुंचा दें ताकि उनसे बातचीत के समय संबंधित विभाग के अधिकारी को भी बुलाया जा सके। राज्यपाल फॉलोअप करते रहने का सुझाव देने से भी नहीं चूकतीं।Chhattisgarh Governor Anusuiya Uikey
Updated on:
24 Aug 2019 07:30 pm
Published on:
24 Aug 2019 07:26 pm
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