
रायपुर . छत्तीसगढ़ से यूपी की राजधानी लखनऊ और कानपुर को जाने वाली बेतवा गरीब रथ एक्सप्रेस और नौतनवा के फेरे को बढाने की मांग को रेलवे ने ठन्डे बस्ते में डाल रखा है। इधर रायपुर से लखनऊ की रोजाना की विमान सेवा शुरू हो गई है। आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में रोजी रोटी कमा रहे यूपी वाले और काम काज के लिए वहां जाने वाले तमाम छत्तीसगढ़ी लोग मजबूरी में हवाई जहाज के महंगे टिकट खरीद कर यात्राएं कर रहे हैं।
गौरतलब है कि यह दोनों ट्रेने सप्ताह में केवल दो दिन ही चलती है। इन दोनों ट्रेनों के फेरे बढाने को लेकर एक प्रस्ताव रेल मंत्रालय के पास लम्बे समय से लंबित पडा है लेकिन उस पर कोई कारवाई नहीं हो रही है। इसी तरह से अंबिकापुर से यूपी के पूर्वांचल को जोडऩे के लिए रेलवे लाइन का प्रस्ताव एक दशक से लटका हुआ है।
दिलचस्प यह है कि यह पूरे साल दुर्ग से सही समय से खुली है और नौतनवा से आने वाली ट्रेन तुलनात्मक तौर पर कम विलम्ब से दुर्ग पहुंचती है। जब रेल अधिकारियों से पूछा जाता है कि इसकी वजह क्या है तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता।
जहां तक गरीब रथ का सवाल है ज्यादातर भरी रहने वाली इस ट्रेन में लगेज कोच नहीं है।इस ट्रेन से नियमित तौर पर यात्रा करने वाले एक यात्री कहते हैं कि अगर कोई यात्री गरीब रथ से सामान लखनऊ ले जाना चाहे तो मजबूरी में बेतवा एक्सप्रेस से पहले अपना सामान कानपुर ले जाता है फिर कानपुर से लखनऊ तक की 100 किमी की दूरी तय करने के लिए उसे दूसरी ट्रेन में बुकिंग करानी पड़ती हैं।
लखनऊ को जाने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस में साफ-सफाई एक बड़ी समस्या है। सभी कोचों में रेलवे द्वारा कोच मित्रों के नंबर लगाए गए थे जिसे मिटा दिया गया। न टायलेट्स में खिड़कियां लगी हैं न ही कोचों में। गरीबरथ के कोचों में सबसे बड़ी समस्या साइड मिडिल बर्थों की वजह से होती है। चूंकि वहां जगह कम होती है इसलिए न तो यात्री कायदे से सो सकता है न बैठ सकता है।
बेतवा एक्सप्रेस को लेकर जनता की आम शिकायत रहती है कि कई कई बार इसे कानपुर स्टेशन पर घंटों यार्ड में खडा कर दिया जाता है। नौतनवा एक्सप्रेस समेत यूपी के तमाम रूटों पर चलने वाली ट्रेनों की औसत स्पीड अधिकतम 28 किमी प्रति घंटे हैं जिससे यात्रियों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यूपी जाने वाली सभी ट्रेनों में रिजर्वेशन एक बड़ी समस्या है। अभी गर्मी की छुट्टियां शुरू हो चुकी है लेकिन किसी भी ट्रेन में सीट मिलना संभव नहीं है। कमोबेश यही हाल सारनाथ और गोरखपुर गोंदिया का भी है, आलम यह है कि वाराणसी इलाहाबाद जाने वाले तमाम यात्री बसें बदल बदल कर यात्राएंकर रहे हैं।
रायपुर डिविजन के डीआरएम राहुल गौतम ने कहा कि ट्रेनों के फेरे बढ़ाने को लेकर हम लोगों की कोशिशें कम काम करती है जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव और जनता की मांग ज्यादा मायने रखती है।
Published on:
11 May 2018 11:38 am
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