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साल में एक बार खुलता है ये मंदिर जहां स्त्री रूप में होती है शिवलिंग की पूजा, श्रद्धालु रेंगकर ही करते है दर्शन

छत्तीसगढ़ के लिंगेश्वरी मंदिर (Lingeshwari Temple) में शिवलिंग की स्त्री रूप में पूजा (Lord Shiva worship in female form) होती है। यह मंदिर साल में एक ही बार खुलता है।

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साल में एक बार खुलता है ये मंदिर जहां स्त्री रूप में होती है शिवलिंग की पूजा, श्रद्धालु रेंगकर ही करते है दर्शन

रायपुर. आज हम आपको देश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहां खीरा चढ़ाने से मुरादें पूरी हो जाती लेकिन इसकी जिसकी खासियत ये भी है की ये साल में सिर्फ 12 घंटे के लिए ही खुलता है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में स्थित माता लिंगेश्वरी (Lord Shiva worship in female form) का मंदिर है जो देशभर में मशहूर है।

आपको बता दे यह मंदिर साल में सिर्फ के बार ही खुलता है इसलिए यहां दर्शन करने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा होती है। हैरानी वाली बात ये है कि इस मंदिर में श्रद्धालुओं को रेंगकर दर्शन करने आना होता है।इस मंदिर में एक शिवलिंग है मान्यता है की यहाँ माता रूप में (Lord Shiva worship in female form) विराजित है। शिव व शक्ति के समन्वित स्वरूप को लिंगाई माता (Lingeshwari Temple) के नाम से जाना जाता है। लिंगेश्वरी माता का मंदिर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके में है और इसलिए यहां पर लोग बहुत कम ही जाते हैं।

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जंगल के बीच में अलोर नामक एक गांव है जहां पहाड़ पर एक प्राकृतिक निर्माण है। इस निर्माण पर एक छोटा सा पत्थर रखा हुआ है। जब इस पत्थर को हटाया जाता है तब ही मंदिर में प्रवेश किया जा सकता है। इस मंदिर में शिव और पार्वती के समन्वित स्वरूप को लिंगेश्वरी (Lingeshwari Temple) कहा जाता है।

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ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर (Lord Shiva worship in female form) में अगर खीरा चढ़ाने पर सभी मुरादें पूरी होती है। इसलिए मंदिर के बाहर बड़ी मात्रा में खीरा मिलता है और लोग भी यहां खीरे को प्रसाद के रूप में खाते हैं। अगर कोई विवाहित जोड़ा संतान की चाह रखता है तो वो भी यहां आकर खीरा चढ़ाता है। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में सभी ओर बस खीरे की ही महक आती है। यह मंदिर काफी ज्यादा ऊंचाई पर है इसलिए यहां खड़े होकर दर्शन करना संभव नहीं होता है।

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