
chinese company in chhattisgarh
गौरतलब है कि अप्रैल 2016 में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनधिमंडल चीन के दौरे पर गया था और वहां राज्य सरकार ने सौर विनिर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, सीमेंट और इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में तकरीबन 16000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। उस वक्त राज्य सरकार ने दौरे को बेहद सफल बताते हुए दावा किया था कि जल्द ही ये कंपनियां राज्य में अपनी औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करेंगी।
लेकिन उस दौरे के दो साल बीतने के बावजूद हकीकत की जमीन पर कहीं कुछ नजर नहीं आ रहा है। चीन में निवेश सेंटर खोलना चाहती थी सरकार : छत्तीसगढ़ में चीन द्वारा भारी निवेश की संभावनाओं का सपना फिलहाल टूटता नजर आ रहा है। चीन दौरे पर गए प्रतिनिधिमंडल द्वारा 60 से ज्यादा कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी और दावे किए थे कि इससे छत्तीसगढ़ में जबरदस्त निवेश होगा। इस सम्ंबंध में जब राज्य के उद्योग सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि चीनी कंम्पनियां निरंतर आ रही हैं।
कोलकाता स्थित काउंसलर जनरल ने भी छत्तीसगढ़ का दौरा किया है, लेकिन उन्होंने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि प्रोजेक्ट पर काम शुरू न होने के मूल में क्या है? चीनी कंपनियों को लेकर सरकार की महत्वाकांक्षा को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि सरकार द्वारा दौरे से पूर्व सीआइआइ को एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि चीन में इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ नाम से एक सेंटर खोला जाए, जिससे निवेश की गति को बढ़ाया जा सके। गौरतलब है कि चीनी कंपनियों के साथ अनुबंध में सीआइआइ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
बुरे अनुभव के बावजूद चीन से लगाव : ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। चीनी कंपनियों के साथ छत्तीसगढ़ का अनुभव हमेशा से बेहद खराब रहा है। 2013 में छत्तीसगढ़ सरकार ने चीन की चायना नेशनल मशीनरी एंड इक्विपमेंट इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कंपनी का 35 करोड़ रुपए जब्त कर कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने के आदेश दिए थे। दरअसल, कंपनी को कोरबा में बिजलीघर लगाने के लिए मशीनरी की सप्लाई करनी थी, लेकिन कंपनी ने आठ साल बीतने के बावजूद कोई सप्लाई नहीं की, बाद में यह ठेका भेल को दे दिया गया। यह वही कंपनी है, जिसको लेकर बांग्लादेश में खालिदा जिया की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। सिर्फ इतना ही नहीं, 2011 में चीन द्वारा अंतिम वक्त में राज्य के उद्योगमंत्री को वीजा देने से इनकार कर दिया गया था, नतीजा यह हुआ कि प्रतिनिधिमंडल को चीन का दौरा रद्द करके हांगकांग और सिंगापुर का दौरा करना पड़ा।
सीएसआइडीसी के प्रबंध निदेशक सुनील मिश्रा ने कहा कि एमओयू एक प्रारम्भिक-सी चीज है। हम यह नहीं मान सकते कि जो एमओयू होंगे, वो शत प्रतिशत धरातल पर नजर आएंगे। जब तक यह एमओयू कैंसिल नहीं हो जाते, तब तक यह नहीं माना जा सकता कुछ नहीं हुआ।
छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को सीएम के पूर्व में हुए चीन दौरे पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए कि उस दौरे के बाद कितना निवेश आया और कितना खर्च हुआ।
चीन की एशिया पैसिफिक जेनरेशन लि. - सौर बिजली संयंत्र की स्थापना पर 60 करोड़ डॉलर का निवेश। चाइना हेनाना बंपर द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में 50 करोड़ डॉलर निवेश। इसके अलावा आधा दर्जन कंपनियों को छत्तीसगढ़ में निवेश करना था। सरकार के लोग खुद ही मानते हैं कि कई बार प्रक्रिया की वजह से देरी होती है लेकिन जब कम्पनियां वादे के बावजूद न आए तो कोई क्या करे।
Published on:
12 May 2018 10:28 am
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