
अपन काम बनता भाड़ म जाय जनता के जमाना
राम-राम बबा! तोर देह ह तो गिरतेच जातव हे। तबीयत बने नइये तइसे लागथे? का-करबे बेटा! जिनगीभर हाड़ा तोड़ मेहनत करे म मुंड़ी के चुंदी पाक गे अउ ऐदे महंगाई के मारे कनिहा नव गे। सब्बो जिनिस के भाव ह बादर म उडिय़ात हे। बस, एक्केच जिनिस ल छोड़ के।
सिरतोन काहत हस बबा! आजकाल के नेतामन के बिसवास अउ चरित्तर ह गिरते जावत हे। मोर मन के बात ल कइसे जान डरेस बेटा! का तोर कोनो लागमानी, परवार, सगा-सोदरमन नेता हे का?
अपन घर-परवार म नेता होयके का बात हे, बबा। जेती देखबे वोती नेतेच-नेता। गली-खोर म किंजरत मिल जथे। जउन जगा कांही कुछु कारयकरम होथे वो जगा नेतामन ‘गुड़ म माछी’ कर जुरिया रहिथें। चुनई के समे म तो वोटरमन के पाछू-पाछू फिरत रहिथें। हाथ जोड़थे, पांव परथें। जतका चरित्तर भीख मंगई ल अपन रोजगार बनइया रोठ-डांठ भीखमंगामन करथें। वइसने कस नवा-जुन्ना सब्बो नेतामन चुनई जीते बर रंग-रंग के चरित्तर करथें। अपन ददा घर ले देही तइसे ऐ देबो, वो देबो कहिथें। अइसे कर देेबो, वइसे कर देबो कहिके बडक़ा-बडक़ा वादा करथें। जइसे लोगनमन ऐकरमन के ‘लबारी’ मरई ल नइ जानंय तइसे! चुनई झरिस तहां ले अइसे नदाहीं जइसे गदहा के मुड़ी ले सींग नदा गे हे। अउ कभु, कोनो जगा खुदन-खास्ता मिल जहीं त आंखी ल बटेर के अइसे देखहीं जइसे पहिचानय नइ। सब उल्टा-पुल्टा हो जथे। चुनई के समे पांव परइया नेतामन पांच बछर लेे जनता करा पांव परवाथें। कई पइत जाबे त लल्टे-पट्टे मिलही। हाथ जोड़े वोकर आगू म खड़े रहिबे, बिनती करबे त तोर बात ल सुनही। गुरतुर-गुरतुर गोठियाही, काम नइ होय सकय कभु नइ काहंय। फेर काम ल कभु करबेच नइ करंय। जेन पइसा देथें वोकर काम होथे। ऐहा तो होइस चुनई जितइया नेता के गोठ। फेर, हारे नेता के चरित्तर ल घलो सुनव, बबा!
हारे नेता ह अपन दोस-अपन कमजोरी ल नइ देख के ‘उल्टा चोर कोतवाल ल डांटे’ बरोबर वोट देवइयामन ल दिन-रात कोसत रहिथें। फलाना ल ए देंव, ढेकाना ल वो देंव कहिके गिनावत रहिथे। अरे! ऐमन मोला ‘चना के रूख’ म चघा दिन। ‘अतेक वोट ले जीतबे, ओचेत वोट ले जीतबे’ कहिके तोता रटन लगाय रहंय। तोर बिरोधीमन के जमानत जब्त करा देबोन कहिके बड़े-बड़े हांकय। जब ले चुनई हारेंव हंव तब ले ए मीठलबरामन तीर म नइ ओधंत हें।
जब नेतामन चुनई जीते खातिर किसम-किसम के तिकड़म करथें। जनता ल लालच देथें। झूठा वादा करथें। चुनई जीते के बाद जनता ल ठेंगा दिखाथें। याने ‘अपन काम बनता भाड़ म जाय जनता के जमाना हे’, त अउ का-कहिबे।
Published on:
15 May 2023 04:33 pm
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