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मरीजों के लिए राहत भरी खबर! ओपीडी-आईपीडी पर्ची में गलती सुधरवाने को मिलेगा 24 घंटे का समय

Ambedkar Hospital Raipur: आंबेडकर अस्पताल में ओपीडी और आईपीडी पर्ची में नाम, पिता का नाम व पता गलत होने पर सुधार के लिए 24 घंटे का समय दिया जाएगा।

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आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन की नई व्यवस्था (photo source- Patrika)

आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन की नई व्यवस्था (photo source- Patrika)

Ambedkar Hospital Raipur: आंबेडकर अस्पताल में ओपीडी व आईपीडी पर्ची में नाम, पिता का नाम व पता गलत होने पर सुधारने के लिए परिजनों को 24 घंटे दिए जाएंगे। ओपीडी व इनडोर रजिस्ट्रेशन काउंटर पर इसकी अलग से व्यवस्था की जाएगी। इससे मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी तक पर्ची में गलती होने पर सुधारने का कोई विकल्प नहीं होने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। नाम सुधरवाने के लिए अस्पताल का चक्कर भी लगाना पड़ता था। कई बार क्लेम भी अटक जाता था।

Ambedkar Hospital Raipur: आंबेडकर अस्पताल की नई व्यवस्था

अस्पताल जाने वाले मरीज कई बार ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर में गलत नाम लिखवा देते हैं। पर्ची बनने के बाद वे इसे चेक भी नहीं करते। ये गलती कई कारणों से होती है। मसलन नाम गलत बताने पर या ऑपरेटर के गलत सुनने पर। इसलिए कई बार काउंटर पर आधार कार्ड मांगा जाता है, जिससे नाम, पिता के नाम व पते में कोई गलती न हो। काउंटर पर आधार कार्ड दिखाने को अनिवार्यता की तरह पेश करने पर इसे अब मांगा भी नहीं जाता। इसलिए गलती की गुंजाइश बनी रहती है।

कई लोग अपने परिचित या परिजनों का निक नाम भी बता देते हैं, जिससे फ्री इलाज में भी दिक्कत होती है। दिक्कत इसलिए, क्योंकि आयुष्मान कार्ड में अलग नाम व पर्ची में अलग नाम होने से फ्री इलाज का लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में परिजनों को कैश देकर इलाज कराना पड़ता है। मरीज भी अधीक्षक सहायक अधीक्षक कार्यालय का चक्कर लगाते रह जाते हैं। ओपीडी पर्ची में जरूरी नाम गलत होने पर मरीज के भर्ती होने की स्थिति में यही गलती इनडोर पर्ची में भी होगी। इसलिए मरीजों की दिक्कत कम नहीं होगी।

मृत्यु प्रमाणपत्र में भी सही नाम अनिवार्य, नहीं तो चक्कर

Ambedkar Hospital Raipur: अस्पताल में ओपीडी पर्ची के अनुसार इनडोर पर्ची बनाई जाती है। अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है तो मृत्यु प्रमाणपत्र भी गलत बन जाता है। इससे मरीज के परिजन जरूरी क्लेम नहीं कर सकते। नाम सुधरवाने के लिए उन्हें अस्पताल प्रबंधन का चक्कर लगाना पड़ता है।

यही नहीं डेथ सर्टिफिकेट तभी बनेगा, जब संबंधित विभाग से इलाज वाली फाइल मेडिकल रिकार्ड विभाग में पहुंचेगी। फाइल नहीं पहुंचने पर डेथ सर्टिफिकेट नहीं बनता। ऑब्स एंड गायनी व जनरल मेडिसिन में फाइलें देर से पहुंच रही थीं। इस व्यवस्था में सुधार करवाया गया है। ताकि बाहर से आने वाले परिजनों को भटकना न पड़े।