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Swachh Survekshan 2025: पान-गुटखा के दाग पड़े तो घटेगी रैंकिंग, स्वच्छता सर्वे 2025-26 में अंक कटौती तय

Swachh Survekshan 2025: स्वच्छता सर्वेक्षण 2025-26 की टूलकिट जारी कर दी गई है। रेड और येलो स्पॉट जैसे दृश्य शहरों की रैंकिंग ऊपर या नीचे ले जाएंगे।

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2025-26: टूल किट जारी (photo source- Patrika)

स्वच्छता सर्वेक्षण 2025-26: टूल किट जारी (photo source- Patrika)

Swachh Survekshan 2025: केंद्रीय शहरी आवासन मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2025-26 के लिए टूल किट जारी कर दिया है। इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 में कुल अंक बढ़ाकर 12,500 कर दिए गए हैं। इनमें 10,500 अंक स्थल आधारित मूल्यांकन से जुड़े हैं। ऐसे में रेड और येलो स्पॉट जैसे दृश्य रैंकिंग को ऊपर या नीचे ले जाने में भूमिका निभाएंगे।

Swachh Survekshan 2025: अलग-अलग 75 अंक तय

यानी स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 में शहरों की रैंकिंग अब साफ दिखाई देने वाली गंदगी से सीधे तय होगी। खुले में पेशाब से बनने वाले येलो स्पॉट और दीवारों पर पान-गुटखा से बने रेड स्पॉट अब केवल शिकायत तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इनके आधार पर सीधे अंक कटेंगे और रैंकिंग प्रभावित होगी।

स्पॉट के लिए अलग-अलग अंक तय: स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में येलो स्पॉट का आकलन नागरिकों की शिकायतों और स्वच्छता एप पर दर्ज फीडबैक के आधार पर होता था। 2025-26 में यह प्रक्रिया बदल दी गई है। येलो स्पॉट और रेड स्पॉट के लिए अलग-अलग 75 अंक तय किए गए हैं।

टीम मौके पर जाएगी, अंकों पर असर

मूल्यांकन टीम आवासीय, व्यावसायिक और सार्वजनिक इलाकों में खुद जाकर हालात देखेगी। मौके की फोटो और वीडियो लेकर वास्तविक स्थिति दर्ज की जाएगी। जहां भी गंदगी या पीले दाग नजर आएंगे, उसके नंबर कटेंगे। इसी तरह व्यावसायिक क्षेत्रों, सार्वजनिक स्थानों, परिवहन केंद्रों, पर्यटन स्थलों और पार्कों में भी टीम जाएंगी। टीमें रिपोर्ट में लिखेंगे कि दीवारें और सार्वजनिक स्थल लाल धब्बों से पूरी तरह मुक्त हैं।

जनभागीदारी: सालभर फीडबैक दे सकेंगे नागरिक

स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 में जनभागीदारी को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। अब नागरिकों की भूमिका केवल तय समय में शिकायत करने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह साल भर चलने वाली प्रक्रिया होगी। नए सर्वे में नागरिक स्वच्छता एप के साथ माईगव, ‘वोट फॉर माय सिटी’ पोर्टल और क्यूआर कोड के जरिए साल भर राय दे सकेंगे। इस बार के सर्वे में नगर निगम के दावों की पुष्टि भी नागरिक ही करेंगे।

बिना सूचना मौके पर मूल्यांकन

Swachh Survekshan 2025: शासन का मानना है कि शिकायत-आधारित व्यवस्था में कई बार जमीनी हकीकत पूरी तरह सामने नहीं आ पाती। नया ढांचा शहरों को केवल प्रतिक्रिया देने वाला नहीं, बल्कि पहले से स्वच्छता बनाए रखने वाला बनाने की दिशा में है। अब नगर निगमों को यह सुनिश्चित करना होगा कि गंदगी पैदा ही न हो। मूल्यांकन बिना पूर्व सूचना के मौके पर किया जाएगा।

10, 500 अंक इन कार्यों के लिए मिलेंगे

  1. विजिबल क्लीनलीनेस - 1500
  2. सेग्रीगेशन, कलेक्शन, वेस्ट परिवहन - 1000
  3. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट - 1500
  4. एसेस टू सेनिटेशन - 1000
  5. यूज्ड वाटर मैनेजमेंट - 1000
  6. मैकेनाइजेशन ऑफ डिस्लजिंग सर्विंग- 500
  7. एडवोकेसी ऑफ स्वच्छता - 1500
  8. इको सिस्टम स्ट्रेंथ एंड इंस्टिट्यूशनल पैरामीटर - 1000
  9. वेलफेयर ऑफ सेनिटेशन वकर्स - 500
  10. सिटीजन फीडबैक - 1000

सफाई अब कागज व रिपोर्टिंग से नहीं

Swachh Survekshan 2025: अब मूल्यांकन नागरिक शिकायतों के बजाय मौके पर जाकर किए जाने वाले भौतिक निरीक्षण के आधार पर होगा। सर्वेक्षण का स्पष्ट संदेश है कि शहरों की सफाई अब कागज और रिपोर्टिंग से नहीं, बल्कि सड़क, दीवार और सार्वजनिक स्थलों पर दिखाई देगी।

दृश्यमान स्वच्छता निर्णायक आधार

खुले में पेशाब या पान-गुटखा के दाग मिले तो सीधे 150 अंकों तक की कटौती होगी और उसका असर शहर की रैंकिंग पर पड़ेगा। दस्तावेज और फीडबैक आधारित मूल्यांकन की जगह अब दृश्यमान स्वच्छता को रैंकिंग का निर्णायक आधार बनाया गया है।


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