विभागीय सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पिछले दो पत्रों पर लापरवाही करने को लेकर संचालक को फटकार भी लगाई है। बता दें कि विभाग की गलती से सैकड़ों कर्मचारी परिवीक्षा अवधि में
काम कर रहे हैं और अन्य सुविधाओं से वंचित है। इन कर्मियों को दैनिक वेतन भोगी के आधार पर भुगतान किया जा रहा है।
नियम विरुद्ध निलंबन के वेतन पर विचार
उक्त कर्मचारियों का नियम विरुद्ध निलंबन किया गया था। इस तकरीबन डेढ साल की अवधि तक वेतन के नाम पर कुछ भी नहीं दिया था। इस अवधि की राशि के लिए भी विभाग ने कवायद शुरू कर दी है।
यह है मामला
2002 और 2003 में राज्य कर्मचारी बीमा सेवाएं (ईएसआई) में ड्रेसर, वार्ड ब्वाय, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, सहायक ग्रेड-3, चौकीदार के करीब 35 पदों पर नियमित भर्ती की गई थी। इसके बाद 12 अपै्रल 2017 को श्रम विभाग के अवर सचिव ए केरकेट्टा ने पत्र जारी कर विभाग के संचालक को परिवीक्षा अवधि समाप्त कर वेतन वृद्धि करने का निर्देश दिया था। भर्ती प्रक्रिया में तत्कालीन व वर्तमान संचालक डॉ. विश्व बंधु भसीन भी मौजूद थे।
कर्मचरियों परिवीक्षा अवधि समाप्त करने व वेतन वृद्धि के लिए बार-बार मांग को अधिकारियों ने अनसुना कर दिया तब कर्मचारी हाईकोर्ट पहुंचे थे। जहां पर विभाग को नोटिस जारी की गई और विभाग ने मामले में भर्ती प्रक्रिया को ही संदिग्ध बताते हुए जांच का हवाला दिया था। कई बार हाईकोर्ट के निर्देशों को दरकिनार कर 2015 में कर्मचारियों को फिर से संविदा पर ही भर्ती की गई थी।
श्रम विभाग के विशेष सचिव आर. संगीता ने कहा कि नियमितिकरण की प्रक्रिया जारी है। जल्द ही प्रकिया पूरी कर ली जाएगी।