मछली की यह रेंगने की प्रक्रिया को देखने पर एक नजर में ऐसा लगता है कि जैसे वह उछलकूद मचा रही है। कई बार तो इनकी गतिविधि इतनी तेजी से होती है कि ये दो फुट ऊंचे जलीय पौधों के ऊपर तक फिसलते हुए चढ़ जाती हैं। प्राणी विज्ञानी डॉ. सुशील दत्ता ने बताया कि पानी से बाहर लंबे समय तक रह पाने के लिए इस मछली में गलफ ड़े के साथ साथ भूलभुलैया की तरह आकार के श्वसन अंग भी सहायक होते हैं।
स्थानीय बोली में इसे केऊ कहते हैं। इसका मांस बेहद स्वादिष्ट माना जाता है और इसकी मांग भी बहुत है। दो दिन पहले हुई बारिश में मछली पकडऩे वाले सारी रात इस मछली को पकड़ते रहे, क्योंकि यह हजारों की संख्या में दलपत सागर से निकलकर मेड़ को पार करके खेत अथवा समतल जमीन की ओर पहुंचती रहीं।
Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter और Instagram पर ..
CG Lok sabha election Result 2019 से जुड़ी ताज़ातरीन ख़बरों, LIVE अपडेट तथा चुनाव कार्यक्रम के लिए Download करें patrika Hindi News