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नक्सलियों ने दस साल पहले किया था कलेक्टर का अपहरण, अब गिरफ्तार आरोपी को पहचानने से ऑफिसर ने किया इंकार

Collector Alex Paul Menon: छत्तीसगढ़ के सुकमा(Sukma) जिले में नक्सलियों ने 21 अप्रैल, 2012 की शाम को सुकमा जिले के केरलापाल क्षेत्र के माझीपारा गांव में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के दो अंगरक्षकों की हत्या कर कलेक्टर को अगवा कर लिया था।

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 कलेक्टर ऐलेक्स पॉल मेनन

कलेक्टर ऐलेक्स पॉल मेनन

Collector Alex Paul Menon: साल 2012 में नक्सलियों ने तत्कालीन कलेक्टर ऐलेक्स पॉल मेनन(Collector Alex Paul Menon) का अपहरण कर लिया था। लंबे समय से पुलिस इस मामले में जांच कर रही थी। पुलिस ने इस मामले में एक नक्सली को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन अब कलेक्टर ने गिरफ्तार नक्सली को पहचानने से इंकार कर दिया है।

जानकारी के अनुसार, घटना सुकमा जिले में घटित हुई थी। इस मामले में आज गिरफ्तार नक्सली की दंतेवाड़ा एनआइए कोर्ट में पेशी थी। पेशी में एनआईए कोर्ट में एक मात्र गवाह ऐलेक्स पॉल मेमन ही है। आज गुरूवार को गवाह के रूप में ऐलेक्स पॉल मेमन पेश हुए। लेकिन इस दौरान उन्होंने अपनी गवाही में गिरफ्तार नक्सली(Naxalite) को पहचानने से साफ़ इंकार कर दिया। ऐलेक्स पॉल मेनन(Alex Paul Menon) 2006 बैच के आईएएस अधिकारी है। वे तमिलनाडु के रहने वाले हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि घटना काफी पुरानी है, इस वजह से आरोपी को नहीं पहचान पाउंगा।

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दो अंगरक्षकों की हत्या
जानकारी के लिए आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुकमा(Sukma) जिले में नक्सलियों ने 21 अप्रैल, 2012 की शाम को सुकमा जिले के केरलापाल क्षेत्र के माझीपारा गांव में कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के दो अंगरक्षकों की हत्या कर कलेक्टर को अगवा कर लिया था। दरअसल, मांझीपाड़ा में प्रशासन के अधिकारी 'ग्राम सुराज अभियान' के अंतर्गत ग्रामीणों से बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान एक नक्सली सभा में घुस आया। उसने कलेक्टर के एक अंगरक्षक की हत्या कर दी। इसके बाद नक्सलियों ने पूछा कि कलेक्टर कौन है। फिर जिलाधिकारी एलेक्स पॉल मेनन(Collector Alex Paul Menon) ने कहा कि मैं हूं।

रिहाई के बदले की ये मांग
फिर नक्सली जिलाधिकारी(Collector Alex Paul Menon) को पकड़कर अपने साथ ले गए। नक्सलियों ने कलेक्टर की रिहाई के लिए 25 अप्रैल तक की समयसीमा तय की थी। उन्होंने इसके बदले सरकार के सामने ऑपरेशन ग्रीनहंट को बंद करने और उनके आठ सहयोगियों को रिहा करने की बात कही। लेकिन फिर बाद में सरकार और नक्सलियों की ओर से दो-दो मध्यस्थों को रखा गया था। मध्यस्थों के बीच हुई काफी लंबी चर्चा हुई। फिर एक समझौता करने के बाद नक्सलियों ने कलेक्टर को छोड़ दिया था।