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भूपेश बघेल के सहारे बिहार-झारखंड में खोई जमीन तलाश रही है कांग्रेस

- ओबीसी राजनीति का नया चेहरा बनाने की कवायद - पटना में युवा कांग्रेस ने किया छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का सम्मान

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भूपेश बघेल के सहारे बिहार-झारखंड में खोई जमीन तलाश रही है कांग्रेस

भूपेश बघेल के सहारे बिहार-झारखंड में खोई जमीन तलाश रही है कांग्रेस

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सहारे कांग्रेस बिहार और झारखंड की खोई हुई जमीन तलाशने बड़ा दांव चल रही है। पार्टी भूपेश बघेल को दोनों प्रदेशों में प्रभावी पिछड़ा वर्गों का बड़ा चेहरा बनाने की कवायद में लग गई है। बिहार युवा कांग्रेस ने गुरुवार को पटना के एसके मेमोरियल हाॅल में सामाजिक न्याय सम्मेलन आयोजित कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आमंत्रित किया। कांग्रेस नेता ने छत्तीसगढ़ में ओबीसी को २७ प्रतिशत आरक्षण देने के लिए उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, न्याय के लिए आवाज उठाने में बिहार की धरती अग्रणी रही है। देश को जब-जब आवश्यकता हुई है, तब-तब बिहार ने संघर्ष का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा, बिहार अपने मुददे तय करे और न्याय के लिए संघर्ष के रास्ते पर आगे बढ़े। इससे पहले १३ सितम्बर को मुख्यमंत्री को झारखंड के जमशेदपुर में सम्मानित किया गया था। वहीं २६ सितम्बर को दिल्ली के काॅन्स्टीटयूशनल क्लब में उन्हें बीपी मंडल सम्मान से नवाजा गया था। राजनीतिक प्रेक्षक इसे कांग्रेस में नए ओबीसी नेतृत्व के उभार के तौर पर देख रहे हैं। कांग्रेस नेता भी इसको संगठन के लिए सकारात्मक मान रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है, बिहार की राजनीति में पिछड़ा वर्ग का वर्चस्व रहा है। कई वर्षों से वहां की राजनीति लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के इर्दगिर्द ही रही है। भाजपा के पास भी वहां कोई मजबूत ओबीसी चेहरा नहीं है। ऐसे में वह नीतीश के भरोसे रहती है। शुक्ला कहते हैं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछले १० महीनों में ओबीसी नेता के रूप में राष्ट्रीय फलक पर उभरे हैं। उनके सोशल इंजीनियरिंग की चर्चा देश भर में है तो पार्टी को दूसरे राज्यों में भी इसको जरूर भुनाना चाहिए।

जमीन पर असर संदिग्ध

बिहार के पत्रकार कृष्णकुमार बताते हैं कि पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियां ही कभी कांग्रेस का आधार हुआ करती थीं। वहां से वे राजद, जदयू होते हुए भाजपा की और शिफट हुई हैं। सामाजिक न्याय का मुददा महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के यहां पहुंचने से संगठन में जोश तो नजर आया है, लेकिन इस दूरगामी असर अभी संदिग्ध है। कांग्रेस का जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं है। कृष्ण कुमार कहते हैं, अगर कांग्रेस को पिछड़ों की राजनीति करनी है तो उन्हें संगठन में प्रतिनिधित्व भी देना होगा।