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इस IPS का विवादों से रहा है पुराना नाता, अवार्ड पाने आदिवासियों को नक्सली बनाकर कर दिया था पेश

राज्य आर्थिक अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो के शिकंजे में फंसे एडीजी जीपी सिंह का विवादों से काफी पुराना नाता रहा है। अपने वरिष्ठ अफसरों और मातहतों से विवादों के चलते वे हमेशा चर्चा में रहे।

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इस IPS का विवादों से रहा है पुराना नाता, अवार्ड पाने आदिवासियों को नक्सली बनाकर कर दिया था पेश

रायपुर. राज्य आर्थिक अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो के शिकंजे में फंसे एडीजी जीपी सिंह का विवादों से काफी पुराना नाता रहा है। अपने वरिष्ठ अफसरों और मातहतों से विवादों के चलते वे हमेशा चर्चा में रहे। चर्चा है कि बस्तर में एसपी रहते हुए अवार्ड पाने के लिए 100 निर्दोष आदिवासी ग्रामीणों को नक्सली बना पेश किया गया था।

आदिवासियों को बाकायदा बस्तर से राजधानी रायपुर लाया गया था। उन्हें नक्सली बनाकर पेश किया गया। लेकिन, पोल खुल गई और मामले ने तूल पकड़ लिया था। बाद में पूरे मामले में लीपापोती कर दी। इसके बाद बिलासपुर एसपी रहते हुए सिंह ने तत्कालीन बस्तर आईजी एमडब्ल्यू अंसारी के घर छापा मार दिया था। कारण था दोनों का आपसी विवाद। छापे में आईजी के घर से ढाई लाख की रकम भी बरामद करना दिखाया गया था। इसके बाद आईजी अंसारी का तुरंत स्थानातंरण कर दिया गया था।

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लूप लाइन में भेजा गया
जब सिंह बिलासपुर आईजी थे तब बिलासपुर के तत्कालीन एसपी राहुल शर्मा से इनके विवादों की काफी चर्चा रही। इसी माहौल ने एसपी ने आत्महत्या कर ली थी। उनके सुसाइड नोट में काफी कुछ कहा गया था, लेकिन इस घटना को पारिवारिक तनाव बताकर मामला रफा-दफा किया गया। हालांकि इस घटना के बाद जीपी सिंह को लूप लाइन में डाल दिया गया था। करीब 6 महीने तक ठीकठाक पोस्टिंग के लिए वे परेशान होते रहे थे।

दूसरी बार छापेमारी
पेंशन बाड़ा स्थित जीपी सिंह के शासकीय आवास को कापी लकी माना जाता है। यहां जितने भी अफसर रहे है सभी मलाईदार पदों पर रहे है। साथ ही हमेशा इस घर पर धन बरसता रहा है। 1990 में इसी घर में लोकनिर्माण विभाग के एक अफसर रहते थे। इस दौरान लोकायुक्त की टीम में छापा मारकर करोड़ों रुपए बरामद किया था। सूत्रों का कहना है कि अब भी इस घर के लिए लोगों की सिफारिशें आती रहती हैं।

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गोपनीय जानकारियों का जखीरा
ईओडब्ल्यू और एसीबी में रहने के दौरान रसूखदार लोगों की गोपनीय जानकारी एकत्रित करने की शिकायतें मिल रही थी। इसके चलते कुछ महीनों में ही जीपी सिंह को लूप लाइन पर भेज दिया गया था। बताया जाता है कि पीएचक्यू में एक लॉबी बनने के बाद तुरंत फील्ड में भेज दिया गया था। इसके बाद भी कामकाज के तरीके नहीं बदलने पर उन्हें प्रशिक्षण अकादमी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

कुछ दिनों से मिल रहे थे संकेत
एसीबी के अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि पुलिस अकादमी में पदस्थापना के दौरान निर्माण कार्य में गड़बड़ी करने की शिकायत मिल रही थी। इसके बाद से संकेत मिल रहे थे कि जल्दी ही बड़ी कार्रवाई होने वाली है।