
दुर्ग। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय ने अपने शोधार्थियों को थीसिस लिखने के दौरान नकल करने को लेकर चेता दिया है। विवि पीएचडी सेल को पीएचडी शोधार्थियों की थीसिस में लगातार कट-कॉपी-पेस्ट कॉन्टेंट मिल रहा है। यह कंटेंट 15 से 22 फीसदी तक मिला है, जिसे इंटरनेट से निकालकर थीसिस में जोड़ा जा रहा है। फिलहाल, विवि ने इस शोधार्थियों को उनके थीसिस लौटा दिए हैं। साथ ही एक चेतावनी भी जारी की है। थीसीस में प्लेगरिजम सॉफ्टवेयर से जांच दौरान इन शोधार्थियों को तीन मौके दिए जाएंगे। शोधार्थियों ने एक-दो मौके पहले ही इस्तेमाल कर लिए हैं, ऐसे में अब बहुतों के पास सीमित मौके शेष हैं। विवि प्रशासन ने बताया कि थीसीस में 10 फीसदी से कम इंटरनेट का कंटेंट स्वीकार किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कई शर्तें हैं, जिसका पालन करना होता है।
यूजीसी ने दिए निर्देश
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शोध संस्थानों में थीसिस की नकल रोकने कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब यदि किसी शोधार्थी की पीएचडी थीसिस में प्लेजियारिज्म यानी नकल पाई जाती है तो उस शोधार्थी व रिसर्च गाइड पर भी कार्यवाई की जाएगी।
नहीं बन पाएगा रिसर्च गाइड
यूजीसी के अनुसार प्रथम लेवल की पेनाल्टी में शोधार्थी द्वारा प्रकाशक को उपलब्ध कराए गए शोध कार्य को वापस लेना होगा। एक वर्ष की अवधि तक कोई भी शोध निष्कर्ष को कहीं प्रकाशित नहीं कर सकेगा। द्वितीय चरण की पेनाल्टी में शोधार्थी द्वारा प्रकाशन के लिए उपलब्ध कराए गए शोध कार्य को वापस लेने के साथ-साथ दो वर्ष तक कोई भी शोधकार्य को न कर पाने संबंधी पेनाल्टी का प्रावधान है।
विवि बनाएगा जांच कमेटियां
हेमचंद विवि ने इसके लिए प्लेजियारिज्म डिसीप्लीनरी अथॉरिटी (पीडीए) का गठन किया है। यह अथॉरिटी शोधकार्य के मुख्य बिन्दुओं सारांश, संक्षेपिका हाइपोथीसिस, अवलोकन, शोध परिणाम एवं शोधनिष्कर्ष, सुझावों आदि में नकल की सूक्ष्मता से जांच करेगी। नकल का पता लगाने यूजीसी से अनुमोदित साफ्टवेयर भी उपलब्ध है।
पीएचडी थीसिस कॉपी-पेस्ट कंटेंट मिल रहे हैं। इन शोधार्थियों को विवि ने थीसिस लौटाकर दोबारा सुधार करने कहा है। यहां कॉपी कंटेंट ज्यादा है, जिसे प्लगरिजम सॉफ्टवेयर ने पकड़ा है। यूजीसी ने नकल को लेकर कड़े कानून बना दिए हैं।
-डॉ.प्रशांत श्रीवास्तव, इंचार्ज, पीएचडी सेल, डीयू
Published on:
21 Jul 2022 07:55 pm
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