
रायपुर.महामारी कोरोना (Corona Pandemic) लोगों पर ऐसी क्रूरता बरपा रही है कि न बच्चे, न बड़े और बुजुर्ग देख रहे हैं। इस दानवरूपी महामारी से राजधानी में एक ऐसा परिवार था। जिसमें पति-पत्नी और दो बच्चे थे। पिछले 15 दिन पहले पत्नी और पत्नी दोनों एक साथ बीमार पड़े थे। तो दोनों को वार्ड के पार्षद की मदद से एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए। दोनों का इलाज चल रहा था कि पांच दिन बाद पहले मां की मौत हो गई फिर उसके बाद उसकी पत्नी भी दो-तीन बाद चल बसी। दोनों के शव का दाह संस्कार कोरोना प्रोटोकाल के तहत नगर निगम द्वारा किया गया।
बच्चों को नहीं मालूम के मां-बाप नहीं रहे
अस्पताल में बच्चों के मां-बाप की मौत होने के बाद आसपास के लोगों को वार्ड पार्षद के माध्यम से पता चला। लेकिन बच्चों को किसी ने बताने की हिम्मत तक नहीं की। दोनों बच्चे एक पांच साल और दूसरा आठ साल का है। ये दोनों भाई अपने एक कमरे से छोटे से कमरे में रह रहे थे। इन दोनों बच्चों को आसपास के लोग सुबह, दोपहर और शम को भोजन देते रहे।
पार्षद ने पता साजी कर उनके नाना-नानी को दी खबर
कुशाभाऊ ठाकरे वार्ड की पार्षद सुशीला धीवर ने बताया कि बच्चों के मां-बाप की मौत होने के बाद गहरा सदमा लग गया था। लेकिन किसी तरह से खुद को संभालते हुए बच्चों को उनके नाना-नानी तक पहुंचाने के लिए बच्चों से मिलकर उनके नाना-नानी के बारे में पूछा तो पता चला कि उनके नाना-नानी यूपी के एक छोटे से गांव में रहते हैं।
किसी तरह उनके नाना-नानी तक खबर की। तीन-चार दिन बाद उनके नाना-नानी आए बच्चों को अपने साथ ले गए। पार्षद धीवर ने बताया कि वार्ड के बीएसयपूी परिवार के दोनों पति-पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ रहकर रोज-मजूदरी करते थे। लेकिन इस कोरोना महामारी ने बच्चों के सिर से मां-बाप का साया ही छिन लिया।
Published on:
09 May 2021 09:40 pm
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