
CG News: प्रदेश की सड़कों पर हर साल औसतन 3.10 लाख से ज्यादा उतर रहे वाहन सड़क हादसों को बढ़ा रहे हैं। लगातार बढ़ रही भीड़ के कारण सड़कों पर चलने लायक जगह नहीं बची। इसके चलते रोजाना दुर्घटनाओं के साथ ही लोगों की मौत हो रही है। राज्य निर्माण के समय इनकी संख्या 78376 थी। लेकिन, इन 24 सालों में 11 गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
इस समय परिवहन विभाग में 80 लाख से ज्यादा वाहन पंजीकृत है। इनकी लगातार बढ़ रही संख्या के कारण सड़कों पर पैदल चलने लायक तक जगह नहीं बची है। जबकि, सड़कों की संख्या और उनकी लंबाई में किसी भी तरह का अंतर नहीं आया है। त्योहारी सीजन के दौरान कछुए की गति से चलती है। वहीं आउटर में लापरवाह रफ्तार से वाहन चलाने के कारण हादसे होते हैं।
राज्य पुलिस के अनुसार इस साल अब तक 12500 से ज्यादा हादसों में 10500 से ज्यादा घायल और करीब 5600 लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी मुख्य वजह वाहनों की संख्या को देखते हुए दोपहिया और चार पहिया वाहन चालकों द्वारा जानबूझकर ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना और लापरवाही बरतना है। इसके चलते ही 72 फ़ीसदी से ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। वहीं हादसों का ग्राफ 10 फीसदी बढ़ रहा है।
प्रदेश में रोजाना परिवहन विभाग में औसतन 8250 वाहनों का पंजीयन हो रहा है। त्योहारी सीजन में इनकी संख्या में दो गुना तक का इजाफा होता है। सड़कों में लगातार नए वाहनों के उतरने और पुरानी नहीं हटने पर जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। हालांकि पुराने वाहनों को हटाने के लिए स्क्रैप पॉलिसी लागू की गई है। लेकिन, इसके अनिवार्य नहीं होने के कारण कंडम वाहनें भी दौड़ रही है। बता दें कि केंद्रीय भूतल एवं सड़क परिवहन द्वारा 15 साल पुरानी शासकीय वाहनों के लिए स्क्रैप पॉलिसी देशभर में लागू की गई है। केवल पुलिस और फोर्स के वाहनों को छूट मिली है।
प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों से ज्यादा लोगों की मृत्यु और घायलों होने वालों की संख्या है। राज्य पुलिस के आंकड़ों के अनुसार 12500 हादसों में 16000 से ज्यादा मृत्यु और घायल हुए है। हर हादसे में औसतन दो लोगों के चपेट में आने के कारण इसका ग्राफ बढ़ रहा है। इसमें गंभीर रूप से घायल और जान गंवाने वालों की संख्या ज्यादा है। बता दें कि हादसों में सबसे ज्यादा 69.63 फीसदी मृत्यु मोटरसाइकिल चालक एवं सवार की होती है। वहीं, पैदल यात्री 15.48 फीसदी, ट्रैक्टर 3.43 फीसदी, कार सवार 2.95 फीसदी, सायकिल सवार 2.73 फीसदी, मालवाहक 2.18 फीसदी, ट्रक- ट्रेलर -2.04 फीसदी, हल्के सवारी वाहन से 0.83 फीसदी और सबसे कम बस 0.73 फीसदी की मौत हुई है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा सड़क हादसा दोपहर 3 बजे से लेकर रात 9 बजे के बीच होता है। इस अवधि में सड़कों पर ज्यादा भीड़ होने और लापरवाहीपूवर्क वाहन चलाने से 45 फीसदी हादसे होते हैं। जबकि सबसे कम रात 11 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक करीब 15 फीसदी हादसे होते हैं। वहीं सुबह 5 बजे से लेकर 10 बजे तक 23 और 10 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक 17 फीसदी हादसे होते हैं।
ट्रैफिक एआईजी संजय शर्माने बताया कि सड़कों पर लगातार बढ़ रही वाहनों की भीड़ और ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने की वजह से सड़क हादसे बढ़ रहे है। इससे बचने के लिए दोपहिया में हेलमेट एवं कार चलाते समय सीट बेल्ट लगाकर संतुलित गति से वाहन चलाएं।
2000 --- 78376
2010 --- 1658592
2024 --- 80 लाख से ज्यादा( 31 अक्टूबर तक)
Published on:
04 Nov 2024 10:13 am
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