
cyber crime
रायपुर . बिजली विभाग से रिटायर्ड कर्मचारी के बैंक खाते से 46 दिनों तक साइबर ठग राशि निकालते रहे, लेकिन उनके बैंक खाते के लिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर में एक भी मैसेज नहीं आया। जिससे उनके बैंक खाते से रकम निकलने का उन्हें पता ही नहीं चल पाया। अगर उन्हें बैंक की ओर से पहले आहरण का ही अलर्ट मैसेज मिल गया होता, तो उनके खाते से राशि निकालने का पता चल जाता और वो समय पर अपना बैंक खाता ब्लॉक करवा सकते थे। इससे उनके लाखों रुपए बच सकते थे। अभनपुर के बड़े उरला निवासी सीएसईबी से रिटायर्ड अशोक कुमार साहू से 17 जून से लेकर 1 अगस्त तक बैंक अधिकारी बनकर साइबर ठगों ने उनके खाते से 63 लाख 33 हजार 439 रुपए निकाल लिए। इसकी शिकायत पर अभनपुर पुलिस ने अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया है।
हर साल बैंक वसूलता है शुल्क
हर व्यक्ति के बैंक खाते के लिए जो भी मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड रहता है, उसमें खाते में होने वाले जमा और निकासी का अलर्ट मैसेज आता है। इससे खाताधारक को जमा और आहरण वाली राशि व बैलेंस का भी पता चल जाता है। इस सुविधा के एवज में बैंक सालाना आरएमएन शुल्क लेती है। इसके बावजूद कई ग्राहकों को यह सुविधा नहीं जा रही है। 63 लाख से अधिक की ठगी का शिकार होने वाले बुजुर्ग के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनके खाते से जैसे ही ठगों ने रकम निकाले होंगे, वैसे उनके मोबाइल में आहरण होने का मैसेज आ जाता, तो वे ठगी से बच जाते।
एक-एक घंटा करते थे बात
बुजुर्ग से ठगी करने वाले काफी शातिर साइबर ठग हैं। पीड़ित बुजुर्ग को ठगने के लिए आरोपियों ने आधा दर्जन मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया था। इन नंबरों से बुजुर्ग से एक-एक घंटे तक बातचीत करते थे। इतनी लंबी बातचीत करने का पहला मामला है। पुलिस भी हैरान है कि बुजुर्ग से ठग इतनी लंबी बातचीत क्यों करते थे।
वेस्ट बंगाल का मोबाइल नंबर
पुलिस को ठगों के आधा दर्जन मोबाइल नंबर मिले हैं। सभी वेस्ट बंगाल के हैं। बताया जाता है कि वेस्ट बंगाल में फर्जी नाम-पते से आसानी से मोबाइल सिम मिल जाता है। इन्हीं मोबाइल नंबरों का उपयोग साइबर ठग करते हैं। फिलहाल पुलिस के साइबर सेल की टीम मामले की जांच में लगी है।
6 बैंक खातों तक हुआ ट्रांसफर
बुजुर्ग को ठगने वाले शातिर ठगों ने उनके बैंक खाते से राशि निकालकर पहले एक बैंक खाते में ट्रांसफर किया। इसके बाद दूसरे खाते, फिर तीसरे, फिर उसमें से निकालकर चौथे, फिर चौथे से निकालकर पांचवें और फिर पांचवें से निकालकर छठवें बैंक खाते में ट्रांसफर किया है। इससे पुलिस को छठवें बैंक खाते तक डिटेल निकालने में काफी वक्त लग रहा है। और ठगी की राशि को होल्ड करवाना मुश्किल हो गया है।
यह हुई चूक
अगर पीड़ित बुजुर्ग को ठगी का पता समय पर चल जाता, तो वे घर बैठे साइबर हेल्पलाइन नंबर 155260 में कॉल करके अपने बैंक खाते को ब्लॉक करवा सकते थे। साइबर एक्सपर्ट ठगों के खातों को फ्रीज करके उनकी राशि को दूसरे बैंक खाते में जाने सकते थे।
पीड़ित बुजुर्ग का कहना है कि उनके मोबाइल में बैंक खाते से राशि आहरण होने पर बैंक का अलर्ट मैसेज नहीं आया था। इस कारण पुलिस, साइबर सेल या बैंक को सूचना नहीं दे पाए। मामले की जांच साइबर सेल कर रही है।
- बोधन साहू, टीआई, अभनपुर, रायपुर
Updated on:
05 Aug 2021 11:23 pm
Published on:
05 Aug 2021 11:15 pm
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