
Devastation: आंधी-तूफान से इस प्रदेश में हर साल 12 से 14 करोड़ का नुकसान
छत्तीसगढ़ प्रदेश में अंधड़ चलने की शुरुआत हो चुकी है। अप्रैल व मई में अब तक प्रदेश में 15 से ज्यादा अंधड़ चल चुकी है। मई में प्री मानसून बारिश होती है। मौसम विभाग के अनुसार इसमें सबसे ज्यादा अंधड़ चलने का ट्रेंड रहा है। मौसम विभाग अंधड़ का पूर्वानुमान जरूर जारी करता है, लेकिन संपत्तियों को बचाने का कोई उपाय नहीं किया जा सकता। प्रदेश में अप्रैल से तापमान बढऩे के साथ अंधड़ यानी तेज हवा चलने की शुरुआत हो जाती है।
जब गर्मी ज्यादा हो, तब अंधड़ चलती है। इसकी गति अचानक बढ़ती है। यह 30 किमी से लेकर 70 किमी प्रति घंटे या इससे ज्यादा की रफ्तार से चल सकती है। मानसूनी बारिश या प्री मानसून में बिजली कडक़ने के साथ बादलों की जोरदार गर्जना होती है। इस दौरान तेज हवा चलती है। तेज हवा लगातार चलती रहे तो इसे आंधी कहा जाता है। इसकी रफ्तार 75 किमी प्रति घंटे या इससे ज्यादा हो सकती है। 30 साल की स्टडी में मई व जून में आंधी चलने का औसत एक से दो दिन है।
1 मई को राजधानी समेत प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में अंधड़ ने सरकारी व निजी संपत्ति को उजाड़ कर दिया। अंधड़ से न केवल बिजली के पोल उखड़े, तार टूटे, बल्कि के कुछ स्थानों पर ट्रांसफार्मर भी खराब हुए हैं। राजधानी में ही आंधी आबादी 10 घंटे से ज्यादा तक अंधेरे में डूबी रही। सैकड़ों पेड़ गिरे। होर्डिंग से लेकर पोस्टर भी उड़े हैं। कई स्थानों पर बिजली पोल तिरछे हो गए हैं। इसे हटाने या ठीक करने के लिए बिजली विभाग व नगर निगम का अमला लगा रहा। इन सब कार्य में काफी खर्च होता है। एक तरह से यह विभाग खर्च करता है।
प्राकृतिक बिजली गिरने से प्रदेश में हर साल औसतन 200 मौतें होती हैं। ये मौतें अप्रैल से सितंबर तक यानी 6 माह में होती हैं। प्री मानसून व मानसूनी बारिश में ज्यादा बिजली गिरती है। पेड़ के नीचे खड़े रहना या तालाब या किसी पानी के पास होना, ये खतरनाक होता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार जब बेमौसम बारिश हो तो पेड़ के नीचे कभी खड़े नहीं होना चाहिए। बिजली ज्यादातर पेड़ पर ही गिरती है।
Published on:
04 May 2025 06:36 pm
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