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DGP-IG Meet: तनाव कम करने की हो पहल, मित्र-पुलिस के फॉर्मूले पर बनेगी बात

DGP-IG Meet: रायपुर में चल रही 60वें डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस में पुलिस की छवि बदलने और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने पर चर्चा हुई। वहीं चौंकाने वाले आंकड़े भी पेश हुए..

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CG News, CG police

छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय ( Photo - Patrika )

DGP-IG Meet: पुलिस जवानों और अधिकारियों पर लगातार काम का दबाव रहता है। 12 से 15 घंटे तक की ड्यूटी इन्हें मानसिक रूप से थका देती है। ( CG News ) ऐेसे में इनके बीमार होने या आकस्मिक मौत की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। रायपुर में चल रही 60वें डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए। यह समस्या देशभर की है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान इससे जूझ रहे हैं।

  • केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) - 2018 से 2022 के बीच कुल 654 आत्महत्याएं रिपोर्ट हुईं।सीआरपीएफ- 230,बीएसएफ- 174,सीआईएसएफ- 89,एसएसबी- 64,आईटीबीपी- 54,असम राइफल्स-43,एनएसजी-3 तनाव के प्रमुख कारण (सशक्त साक्ष्य व शोध के आधार पर)
  1. कार्य-लोड और अत्यधिक ड्यूटी/दफ्तर से बाहर तैनाती — लगातार लंबी शिफ्ट, रात की ड्यूटी, टूर-ऑफ- ड्यूटी।
  2. मानसिक और भावनात्मक थकान — हिंसक घटनाओं, बाल-बाल बचने की घटनाओं का प्रभाव।
  3. कूटनीतिक/संगठनात्मक दबाव — मनोवैज्ञानिक भार, कार्यस्थल उत्पीडऩ, भ्रष्टाचार/भय, अनिश्चितता।
  4. पारिवारिक/आर्थिक समस्या — पारिवारिक विवाद, कर्ज/आर्थिक तनाव, रिश्तों में टूट। (एनसीआरबी के सामान्य आत्महत्या कारणों में भी पारिवारिक कारण प्रमुख आते हैं)।
  5. मानसिक स्वास्थ्य या मदद न मांगने का रुझान — इंस्टीट्यूशनल कल्चर के कारण पुलिसकर्मी मनोस्थिति साझा नहीं करते।

DGP-IG Meet: जोखिम संकेत

  • अचानक व्यवहार में परिवर्तन (चिड़चिड़ापन, अलगाव)
  • नींद या खानपान में बड़े बदलाव, काम पर लगातार अनुपस्थिति
  • आत्म-हानि के विचारों का खुले तौर पर संकेत या नोट/विदाई भावनाएं
  • शराब/नशीले पदार्थों का बढ़ता उपयोग प्रभावी प्रबंधन और निवारण — त्वरित, व्यवहारिक निर्देश
  1. नियमित मानसिक-स्वास्थ्य स्क्रीनिंग (वार्षिक/छमाही) - गोपनीयता के साथ रिपोर्टिंग व्यवस्था।
  2. इम्प्लॉय असिस्टेंस प्रोग्राम (ईएपी) - 24 घंटे हॉटलाइन, कॉउंसलर, अनौपचारिक पीर सपोर्ट।
  3. लागत रहित उपचार नेटवर्क- राज्य स्तरीय मनोचिकित्सक/साइकोलॉजिस्ट संपर्क सूची; प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर पर पहुंच बनाना।
  4. छुट्टी/रोटेशन नीतियों का सुधार- लगातार लंबी शिफ्ट होने पर अनिवार्य रिकवरी/छुट्टी।
  5. तनाव घटाने के लिए प्रशिक्षण - वरिष्ठ अधिकारी से लेकर नए भर्ती तक मानसिक-स्वास्थ्य प्रशिक्षण को प्रोत्साहन

थाने स्तर क्या व्यवस्था होनी चाहिए

  1. प्रशिक्षित सहकर्मी जो ध्यान रखे और रिफरल करे।
  2. कॉनफिडेंशियल काउंसलिंग रूम — अनौपचारिक और गोपनीय।
  3. कर्ज/वित्तीय सहायता योजनाएं — आर्थिक तनाव पर त्वरित सहायता/रिफाइनेंसिंग सुझाव।

एक्सपर्ट व्यू

पुलिस में तनाव प्रबंधन- म्यूजिक थैरेपी समय की मांग

रिटायर्ड डीजी व पूर्व संचालक संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़, राजीव श्रीवास्तव ने पत्रिका से कहा कि एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है—जमीनी स्तर पर कार्यरत पुलिस बल का मानसिक और शारीरिक तनाव। जमीनी पुलिस बल-90 प्रतिशत, फोर्स 100 प्रतिशत दबाव में है। थाना स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक किसी भी योजना या सुधार का वास्तविक क्रियान्वयन उसी पुलिस बल पर निर्भर करता है, जो मोटे तौर पर 90 प्रतिशत सिपाहियों और हवलदारों से मिलकर बनता है। इन्हीं के कंधों पर "योजनाओं को अमलीजामा पहनाने" का सबसे बड़ा भार होता है। लगातार ड्यूटी, लगातार दबाव और लगातार चुनौतियों के कारण यह वर्ग मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तनावों का सबसे अधिक शिकार बनता है।

परिणामस्वरूप योजनाएं धीरे-धीरे शिथिल पड़ जाती हैं, लक्ष्य अधूरे रह जाते हैं, और कर्मियों की मानसिक स्थिति कमजोर होती जाती है। यही वह वर्ग है जो हर तनाव का पहला और सबसे बड़ा भार उठाता है। परिवार का दबाव भी, विभाग का दबाव भी, जनता की झल्लाहट भी, और अपराधियों का खतरा भी। तनाव के कारण उत्पन्न गंभीर समस्याएं, लगातार तनाव से पुलिसकर्मियों में कई खतरनाक प्रवृत्तियां देखने को मिलती हैं-हाई बीपी, डायबिटीज, अनिद्रा खर्राटों की बीमारी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, निराशा, परिवार और समाज से दूरीऐसे मामलों के आकंड़े यह साबित करते हैं कि यह समस्या किसी एक जिले या राज्य तक सीमित नहीं है। यह राष्ट्रीय चुनौती है।

पुलिस बल के भीतर तनाव दूर करने के लिए परंपरागत तरीके- खेलकूद, मनोरंजन कार्यक्रम, सांस्कृतिक गतिविधियां, मोटिवेशनल स्पीच- उपयोगी तो हैं, परंतु पर्याप्त नहीं। इसमें म्यूजिक थैरेपी कारगर हो सकती है। पुलिस का तनाव कम हुआ, जनता और पुलिस के बीच सेतु बना, दंगा-फसाद की स्थितियों में शांति भिन्न-भिन्न समुदाय के खिलाडिय़ों और कलाकारों के द्वारा शांति दूत बनकर ड्यूटी करने से शांति व्यवस्था कायम करने में मदद मिली, सामाजिक सौहार्द में वृद्धि हुई।

म्यूजिक थैरेपी जरूरी

म्यूजिक थेरेपी एक वैज्ञानिक उपचार पद्धति है, जिसमें संगीत की धुन, ताल और लय का उपयोग करके मानसिक तनाव, चिंता, थकान और भावनात्मक दबाव को कम किया जाता है। पुलिस को बेहतर बनाने और तनाव को कम करने के लिए इस उपाय का नियमित उपयोग करना चाहिए।

पुलिस कर्मियों का तनाव कम करने के लिए अन्य उपाय

  1. योग व ध्यान (Yoga & Meditation Sessions)
  • रोज 15–20 मिनट का प्राणायाम, योग और मेडिटेशन
  • थकान, गुस्सा और मानसिक दबाव तेजी से कम होता है
  • कई राज्यों में यह मॉडल सफल रहा है
  1. काउंसलिंग और साइकोलॉजिकल सपोर्ट
  • नियमित रूप से प्रोफेशनल काउंसलर उपलब्ध हों
  • व्यक्तिगत, पारिवारिक और ड्यूटी–संबंधी तनाव पर गोपनीय परामर्श
  • इससे आत्महत्या और अवसाद के मामले कम होते हैं
  1. स्पोर्ट्स और फिटनेस एक्टिविटी
  • वॉलीबॉल, फुटबॉल, जिम सेशन और इंटरनल टूर्नामेंट
  • शरीर ही नहीं, मन भी हल्का होता है
  • टीम बॉन्डिंग मजबूत होती है
  1. वर्क शिफ्ट मैनेजमेंट
  • लगातार लंबी ड्यूटी न देकर रोटेशनल शिफ्ट
  • 8–10 घंटे के अंदर पर्याप्त आराम
  • नींद की कमी तनाव बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है
  1. रिक्रिएशन रूम / चिल-आउट जोन
  • पुलिस लाइंस में छोटे मनोरंजन कक्ष
  • टीवी, इनडोर गेम्स, मैस में बेहतर वातावरण
  • ड्यूटी के बाद मानसिक राहत
  1. हेल्थ चेक-अप और वेलनेस प्रोग्राम
  • नियमित BP, शुगर, स्ट्रेस लेवल जांच
  • विशेष स्वास्थ्य शिविर
  • तनाव से जुड़ी बीमारियों का समय रहते पता चलता है
  1. परिवार के साथ क्वालिटी टाइम की व्यवस्था
  • छुट्टियों का सही से उपयोग
  • परिवार से जुड़े कार्यक्रम जैसे ‘फैमिली डे’
  • भावनात्मक सपोर्ट बढ़ता है
  1. ड्यूटी-फ्री इंटरैक्शन और ओपन कम्युनिकेशन
  • अधिकारियों और कर्मियों के बीच खुले संवाद
  • ड्यूटी का दबाव, कठिनाइयों पर सीधी बात
  • शिकायतों और सुझावों को गंभीरता से लेना
  1. माइंडफुलनेस ट्रेनिंग

छोटी-छोटी तकनीकें जैसे

  • 2 मिनट डीप ब्रीदिंग
  • माइंडफुल वॉक
  • त्वरित रिलैक्सेशनऑपरेशन और हाई-टेंशन ड्यूटी में बेहद कारगर

क्रिएटिव थैरेपी

  • कई जगह पुलिस कर्मियों के लिए आर्ट थेरेपी शुरू की गई है।
  • पेंटिंग, स्केच, कविता, कहानी लिखने से मानसिक बोझ कम होता है।