
Bilateral Pleural Effusion से जूझ रहे हैं दिलीप कुमार, जानिए क्या है ये बीमारी
क्या है बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन
मेडिकल की भाषा में प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में तरल इक_ा हो जाता है। ऐसे कई रोग है जिसमें ऐसी समस्या होती है। ऐसी स्थिती में फेंफड़ों के आस-पास जमा तरल को निकालना पड़ता है। इस स्थिति के अनुसार ही इस बीमारी का इलाज किया जाता है। प्लूरा एक पतली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरूनी परत के बीच होती है। जब किसी बीमारी के कारण तरल का इक_ा होना शुरू हो जाता है तो उसके बहाव से इस पतली झिल्ली यानी प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह तरल बनने लग जाता है।
क्या हैं इसके लक्षण
शुरुआत में किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते हैं और जब होते हैं तो धीरे-धीरे सामने आते हैं क्योंकि यह बहुत ही हल्के होते हैं।
वहीं जब तरल भरने के बाद प्लूरल इफ्यूजन होने पर जो लक्षण पैदा होते हैं, वे तरल की मात्रा कितनी तीव्रता से जमा हो रहा है इस पर निर्भर करता है।
सीने में दर्द
सांस फूलना
फेफड़ों की झिल्ली में अंदरूनी दर्द
खांसी आना और खांसने में दर्द
बुखार
प्ल्यूरल इफ्यूजन का सामान्य कारण
लंग इंफेक्शन, निमोनिया, ट्यूबरक्युलॉसिस या कैंसर की वजह से प्ल्यूरल इफ्यूजन हो सकता है। कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, लंग्स आर्टरीज में ब्लॉकेज। वहीं किडनी संबंधी बीमारी होने में भी ये बीमारी हो सकती है। ऑटोइम्यून कंडीशन, कीमोथेरेपी के बाद भी बाइलेटरल प्ल्यूरल इफ्यूजन होने की आशंका बढ़ जाती है।
Published on:
07 Jun 2021 11:37 pm
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