
DMF Scam: डीएमएफ घोटाला मामले में राज्य सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका पर 17 मार्च को सुनवाई होगी। दोनों ने स्वयं को निर्दोष बताते हुए आवेदन लगाया है। साथ ही दावा किया है कि उनका डीएमएफ घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें ईओडब्ल्यू ने परेशान करने के लिए झूठे प्रकरण में गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा है। ईडी की ओर से पेश किसी भी दस्तावेज में उनके नाम का उल्लेख तक नहीं है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोयला घोटाले में आरोपी बनाया है। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के ठीक पहले ईओडब्ल्यू ने साजिश के तहत गिरफ्तार किया है। जबकि इस घोटाले में एक साल पहले एफआईआर दर्ज की गई। इतने लंबे समय बाद अचानक प्रोडक्शन वारंट पर कोर्ट में बुलवाने के बाद योजनाबद्ध तरीके से गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया गया। जमानत दिए जाने पर जांच में सहयोग करने के साथ ही सबूतों और गवाहों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ और सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक, ईडी की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। केस में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है। ED ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि IAS अफसर रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया।
Published on:
17 Mar 2025 08:04 am
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