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रायपुर में डॉग बाइट के मामले बढ़े, अब तक 2 की मौत, हाईकोर्ट ने जारी किया यह आदेश

Raipur News: प्रदेश में डॉग बाइट से हुई मौत में दो लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा मिल चुका है।

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Dog bite cases increase in Raipur, 2 dead, 1 injured

रायपुर में डॉग बाइट के मामले बढ़े

रायपुर। Chhattisgarh News: प्रदेश में डॉग बाइट से हुई मौत में दो लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का मुआवजा मिल चुका है। इसे हाईकोर्ट ने शासन की लापरवाही से मौत माना है। यही कारण है कि जिनकी मौत हुई, उनके परिजनों को ये मुआवजा दिया गया। दोनों मामलों में 10-10 लाख का मुआवजा देने का आदेश था। अचानकमार वाले मामले में अस्पताल में हुए खर्च 3.5 लाख रुपए काटकर मुआवजा दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार अगर डॉग बाइट के मामले में अस्पताल की लापरवाही साबित हो जाए तो कोर्ट से मुआवजा मिल सकता है।

राजधानी में डॉग बाइट के केस अचानक बढ़ गए हैं। हाल ही में कवर्ड कॉलोनी में ढाई साल की बच्ची को आवारा कुत्तों ने नोंच डाला। इससे आसपास के लोगों में दहशत का माहौल है। गनीमत है कि बच्ची की हालत खतरे से बाहर है। राजधानी का ऐसा कोई मोहल्ला नहीं है, जहां आवारा कुत्तों का आतंक न हो। प्रदेश के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल में इन दिनों रोजाना 15 से 20 लोगों को एंटी रैबीज वैक्सीन लग रही है। इसमें 5 नए केस व बाकी दूसरे या तीसरे डोज वाले होते हैं।

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निजी अस्पतालों का आंकड़ा निकालें तो रोजाना 50 से ज्यादा डोज लगाए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन फ्री में लगाई जा रही है। जबकि निजी अस्पतालों में एक डोज का 500 से एक हजार रुपए लिया जा रहा है। एक व्यक्ति को कुत्ता काटने के बाद 5 डोज लगाना अनिवार्य है। ऐसे में निजी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन लगाना महंगा पड़ सकता है। कई बार आंबेडकर अस्पताल में भी वैक्सीन खत्म हो जाती है। इससे लोगों को निजी अस्पतालों में वैक्सीन लगाने के जाना मजबूरी है।

नाम का आइसोलेशन वार्ड

आंबेडकर अस्पताल में हाल ही में डॉग बाइट के गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। पागल कुत्तों के काटने के बाद जिन लोगों में इसके लक्षण दिखते हैं, ऐसे ही मरीजों को भर्ती करने की जरूरत होती है। इस बीमारी को हाइड्रोफोबिया कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति पानी से डरता है। कुत्ते की तरह पानी को पीने के बजाय चाटता है। दर्द से तड़पता है और कुत्ते की तरह भौंकने भी लगता है। ऐसे मरीज की बीमारी अति संक्रमित होती है। यानी साथ में कोई रहे तो वह भी संक्रमित हो सकता है। इस कारण ऐसे मरीजों को एक कमरे में रखकर इलाज किया जाता है। पेइंग वार्ड की ओर सबसे ऊपर वाले कमरे में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है।

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कब-कब लगाएं एंटी रैबीज वैक्सीन

- पहले दिन
- तीसरे दिन
- सातवें दिन
- 14वें दिन
- 28वें दिन

केस-1: रायपुर की 8 वर्षीय दिव्या वर्मा की कुत्ते काटने के बाद मौत हो गई थी। 5 साल पहले हाईकोर्ट के आदेश के बाद आंबेडकर अस्पताल प्रबंधन ने बच्ची के पिता को 10 लाख रुपए मुआवजा दिया था। बालिका को एक निजी अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाया गया, लेकिन गंभीर होने पर आंबेडकर में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान मौत पर हाईकोर्ट ने इसे लापरवाही से मौत माना था।

केस-2: अचानकमार क्षेत्र के 35 वषीय भैयालाल गोड़ भी कुत्ते के काटने के बाद गंभीर हो गए थे। परिजनों ने उसे आंबेडकर अस्पताल में भर्ती किया। प्रबंधन के अनुसार इसके बाद परिजन जबर्दस्ती उसे झाड़-फूंक कराने के नाम पर अस्पताल से लेकर चले गए। इसके बाद उसकी मौत हो गई। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल में हुए इलाज का खर्च काटकर 6.5 लाख रुपए का चेक दिया गया।

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जिन मरीजों में हाइड्रोफोबिया के लक्षण होते हैं, उन्हीें मरीजों को आइसोलेशन वार्ड की जरूरत होती है। हल्के खरोच या चोट वाले मरीजों का इलाज मेडिसिन वार्ड में होता है। अभी 15 से 20 लोगों को एंटी रैबीज वैक्सीन लगाई जा रही है। - डॉ. एसबीएस नेताम, अधीक्षक आंबेडकर अस्पताल

कुत्ता चाहे पालतू हो या आवारा, खरोचने या काटने के बाद एंटी रैबीज वैक्सीन जरूर लगाएं। कोताही न बरतें। सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन फ्री में लगती है। जहां तक हो सके, आवारा कुत्तों से बचकर रहें। बच्चों को भी इससे दूर रखें। - डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन आंबेडकर अस्पताल

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