
कोरोना मृतकों के शव आधा-अधूरा जला रहा निगम, कुत्ते ले जा रहे टुकड़े
रायपुर. कोरोना से अपने को खोने वाले परिजनों को मुखाग्नि देने की अनुमति है। जिला प्रशासन और नगर निगम तमाम गाइड-लाइन का पालन करते हुए, पीपीई किट पहनाकर परिजनों को यह अधिकार दिला रहे हैं, ताकि इस विपदा में कम से कम भावनाएं तो आहत न हों। आज स्थिति यह है कि हर आयुवर्ग के लोग इस COVID Pandemic के शिकार बन रहे हैं। कई परिवार तो ऐसे हैं जिनका अपना कोई संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती हुआ, और सूचना आई की मौत हो गई है। अंतिम बार श्मशानघाट में सिर्फ 2 मिनट के लिए ही चेहरा देखने को मिला।
उधर, कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Coronavirus) ने प्रदेश के किसी जिले को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, तो वह है राजधानी रायपुर। जहां संक्रमित मरीजों और मृतकों की संख्या सर्वाधिक बनी हुई है। बीते 20 दिनों से रोजाना औसतन 50 मौतें दर्ज हो रही हैं। श्मशानघाटों में शवों की कतार लगी हुई। शव से संक्रमण न फैले, इसके लिए मुक्तिधाम में सिर्फ परिवार के 4 सदस्यों को आने की अनुमति है। भावनाओं को मद्देनजर रखते हुए संक्षिप्त रूप में धार्मिक कर्म-कांड की अनुमति है। मुक्तिधाम से तुरंत ही अस्थियां (फूल) मुहैया करवाए जाते हैं, ताकि परिवार इन्हें विर्सजित कर सकें।
अज्ञात शवों का दाह संस्कार कर्मचारी करते हैं
राजधानी रायपुर में हर महीने 20-25 मृतक अज्ञात होते हैं। या फिर संक्रमित होने पर परिजन शव लेने नहीं पहुंचते। कई बार नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा संपर्क भी किया जाता है, तो फोन स्वीच ऑफ मिलता है या फिर कॉल रिसीव नहीं करते। या फिर जवाब मिलता है, हमें दाहसंस्कार नहीं करना। इस स्थिति में निगम अमला, पुलिस की अनुपस्थिति में दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी करता है। निगम द्वारा अज्ञात शवों के विज्ञापन भी अखबारों में जारी किए जा रहे हैं, ताकि उनके अपने पहचान कर सकें।
जिला प्रशासन, निगम और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त व्यवस्था
मृतकों के मुक्तांजलि (शव वाहन) 1099 से अस्पताल से मुक्तिधाम तक पहुंच जाए जाते हैं। जहां निगम की टीम पीपीई किट पहनकर दाह संस्कार के लिए तैयार रहती है। परिजनों को पीपीई किट दी जाती है, या फिर वे लेकर आते हैं। लकड़ी की व्यवस्था निगम द्वारा करवाई जाती है। इसका निर्धारित शुल्क लिया जाता है।
नगर निगम रायपुर के अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने कहा, जो परिजन कोरोना से मरने वाले परिवार के सदस्य को मुखाग्नि देना चाहते हैं, उन्हें अनुमति दी जाती है। ऐसे लोग भी हैं जो नहीं देना चाहते, तो हमारी टीम इस रस्म को पूरा करती है।
Updated on:
30 Apr 2021 05:32 pm
Published on:
30 Apr 2021 05:25 pm
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