
छत्तीसगढ़ की एेतिहासिक सीट जहां 15 सालों से सत्ता के दल का विधायक नहीं जीता चुनाव
रायपुर. पिछले तीन विधानसभा चुनाव में एक बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और दो बार कांग्रेस के कब्जे में रही सीट प्रदेश में पाली-तानाखार एेसी विधानसभा सीट है, जो पिछले 15 साल से विपक्ष की भूमिका निभा रही है।
राज्य निर्माण के बाद हुए अब तक तीन विधानसभा चुनाव में यहां से सत्तारूढ़ दल का विधायक चुनाव नहीं जीत सका है। इसकी वजह से अन्य विधानसभाओं की तुलना में यहां विकास काम भी धीमी गति से हो रहा है। हालात यह है कि इस विधानसभा में पिछले तीन साल से लगातार सूखा पड़ रहा है। इसके बावजूद यहां सिंचाई सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है। यहां तक बजट में स्वीकृत काम भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
यह है विधायक निधि का हिसाब-किताब
2013 चुनाव में जीतने के बाद विधायक ने अपने पहले ही साल में ज्यादा से ज्यादा कार्यों को स्वीकृति दी। 2013-14 में 42 कार्य स्वीकृत कराए गए। इसमें से चार कार्य अब तक अधर में लटके हुए हैं। तो वहीं 2014-15 में 17 कार्य स्वीकृत कराए गए। 2015-16 व 2016-17 में 15-15 कार्य कराया गया। वहीं वर्तमान वर्ष में 7 कार्य स्वीकृत कराया गया। जिसमें दो पूरे हो चुके हैं। तो वहीं 6 पर काम चल रहा है।
रामदयाल उइके ने अपने वोटबैंक वाले गण में सबसे अधिक कार्य कराया। विधानसभा में दो ब्लॉक है। पांच साल में 98 कार्य स्वीकृत कराया गया। इसमें पाली में 81 तो महज 16 कार्य पोड़ीउपरोड़ा ब्लॉक में कराया गया।
हालात यह है कि इस विधानसभा में पिछले तीन साल से लगातार सूखा पड़ रहा है। इसके बावजूद यहां सिंचाई सुविधाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है।
तीन साल से सूखा पड़ रहा, पर नहीं मिल रही सिंचाई की पर्याप्त सुविधा
आकाश श्रीवास्तव@कोरबा. में हुए विधानसभा चुनाव में पाली-तानाखार सीट से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की हीरा सिंह मरकाम ने जीत हासिल की थी। उस समय कांग्रेस की सत्ता थी। राज्य निर्माण के बाद 2003 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता बदली और भाजपा की सरकार आई, लेकिन इस विधानसभा की जनता ने अपना बहुमत कांग्रेस के रामदयाल उइके को दिया।
2013 के विधानसभा चुनाव में भी जनता ने उन्हीं पर विश्वास जताया। विपक्ष में रहने की वजह से पिछले 15 साल से विधायक रामदयाल उइके अपेक्षा के मुताबिक काम कराने में नाकाम रहे हैं। उइके भी सरकार पर लगातार उपेक्षा का आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि उनकी एक पहचान क्षेत्र में होने वाले छठही, बरही, भागवत जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि से अधिक नहीं बन सकी है।
लाल बत्ती ने बनाई पकड़
मरवाही विधानसभा सीट तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए छोडऩे पर मिली लाल बत्त्ती के सहारे राम दयाल उइके ने पाली-तानाखार सीट में ऐसी पकड़ बनाई कि आज तक उस किले को तोडऩे में भाजपा नाकाम ही रही। आज हालात ये है कि उइके के वोटबैंक के सामने सत्तारूढ़ दल पूरी तरह से लाचार नजर आ रहा है।
मरवाही के डोकरमुढ़ा के निवासी रामदयाल उइके ने पटवारी से त्याग पत्र देकर भाजपा से चुनाव लड़ा था। मरवाही में 1998 में जीतने के बाद उइके और अजीत जोगी के बीच करीबी बढ़ी। उइके ने बीजेपी को छोडक़र कांग्रेस का दामन थाम लिया। छत्तीसगढ़ के गठन के बाद उइके ने मरवाही सीट अजीत जोगी के लिए छोड़ दी। सीएम बनने के बाद जोगी ने उइके को एससी-एसटी आयोग का अध्यक्ष बना दिया। लाल बत्ती मिलने के बाद उइके ने पाली-तानाखार सीट पर पकड़ बनानी शुरू कर दी। बीहड़ आदिवासी क्षेत्र में पहली बार किसी ने लालबत्ती में इतना सघन दौरा शुरू किया था।
तीन चुनावों में मिले वोट
| चुनाव | उम्मीदवार | पार्टी | कुल वोट |
| 2003 | रामदयाल उइके | कांग्रेस | 48844 |
| 2003 | हीरासिंह मरकाम | गोंगपा | 28531 |
| 2003 | हरंभ शरण सिंह | भाजपा | 20803 |
| 2008 | रामदयाल उइके | कांग्रेस | 56676 |
| 2008 | हीरासिंह मरकाम | गोंगपा | 27233 |
| 2008 | शिवमोहन सिंह उइके | भाजपा | 23644 |
| 2013 | रामदयाल उइके | कांग्रेस | 69450 |
| 2013 | हीरासिंह मरकाम | गोंगपा | 40637 |
| 2013 | शिवमोहन सिंह उइके | भाजपा | 33594 |
क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से पाली-तानाखार क्षेत्र बहुत बड़ा है। पहले से ही यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। विपक्ष में रहने की वजह से सरकार द्वारा बहुत से कार्यों की स्वीकृति नहीं दी जाती। विधायक मद और अन्य मदों से प्राथमिकता के आधार पर हर काम कराया जा रहा है।
रामदयाल उइके, विधायक पाली तानाखार
पाली-तानाखार का सबसे बड़ा मुद्दा
- क्षेत्र में सबसे बड़ा बांगो बांध और खूंटा डेम है जो इसी क्ष्ेात्र मेें बना है। लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलती।
- जटगा में कॉलेज खुल गया, लेकिन कोरबी-चोटिया मोरगा के युवा उच्च शिक्षा के लिए 80 किमी का सफर अब भी तय कर रहे।
- 35 से अधिक गांव फ्लोराइड की चपेट में, पीएचई के सारे सिस्टम फेल। दो सौ से ज्यादा ग्रामीणों के हाथ-पांव हुए टेढ़े।
- पोड़ी में सीएचसी व 6 जगह सब हेल्थ सेंटर सफेद हाथी। इलाज के लिए ९० किमी दूर जिला अस्पताल का लगाना पड़ता है फेरा।
वर्षों से विकास से दूर रहे पाली तानाखार मेें विकास तो हुआ है। मूलभूत सुविधाओं पर अब भी ध्यान देने की जरूरत है। स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ानी चाहिए।
गीताराम प्रजापति, पाली
चुनाव में तीन प्रमुख दलों की सीट
| कांग्रेस | भाजपा | बसपा | |
| 1998 | 48 | 36 | 03 |
| 2003 | 37 | 50 | 00 |
| 2008 | 38 | 50 | 00 |
| 2013 | 39 | 49 | 00 |
क्षेत्र में जो काम होना चाहिए, उतना अधिक काम नहीं हो सका है। फ्लोराइड पानी पर विधायक सक्रिय नहीं है। सिंचाई के साधन भी कम है।
रमाकांत डिक्सेना, मुनगाडीह
Updated on:
28 Sept 2018 12:32 pm
Published on:
27 Sept 2018 10:45 am
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