
Raipur Cyber Crime: रायपुर साइबर सेल में रोज ऑनलाइन ठगी के कम से कम चार मामले पहुंचते हैं। इनमें से 3 मामले युवाओं से जुड़े होते हैं। कोई ट्रेडिंग के नाम पर तो कोई ऑनलाइन जॉब और एक्स्ट्रा कमाई के चक्कर में ऑनलाइन ठगी के शिकार होते हैं।
दूसरी ओर साइबर ठगी के मामलों में बैंक और मोबाइल कंपनियां समय पर जानकारी नहीं दे रही हैं। इसके चलते ठगी के कई मामलों की जांच समय पर नहीं हो पाती है। इसका फायदा साइबर ठगों को मिल रहा है। दूसरी साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब ऐसे मामलों की जांच साइबर रेंज थाना में भी शुरू कर दिया गया।
साइबर ठगी के अधिकांश मामलों में पुलिस को बैंक खातों की जानकारी लेनी पड़ती है। इसके अलावा टेलीकॉम कंपनियों से ठगी में इस्तेमाल मोबाइल नंबरों की जानकारी लेते हैं। इन दोनों जानकारी के बिना पुलिस की जांच आगे नहीं बढ़ पाती है। बैंक वाले ठगी में इस्तेमाल बैंक खातों की जानकारी समय पर नहीं देते हैं, जिससे जांच प्रभावित होती है।
अधिकांश मामलों में ठगी की राशि को साइबर ठग जितने बैंक खातों में ट्रांसफर करते हैं, उतने बैंक प्रबंधनों से खातों की जानकारी लेनी पड़ती है। इसके बाद उन खातों को ब्लॉक करवाकर राशि को होल्ड कराते हैं। अधिकांश बैंक साइबर ठगों के द्वारा केवल पहले खाते में ट्रांजेक्शन की डिटेल दे पाते हैं। इसके बाद अगले लेयर के बैंक खातों की जानकारी देने में काफी समय लगाते हैं। इससे दूसरे बैंक खातों की राशि को होल्ड कराना मुश्किल हो जाता है।
-बैंक खातों की जानकारी देने में देरी
-ठगों ने दूसरे में जिस एटीएम बूथ से पैसा निकाला है, उसके फुटेज देने में आनाकानी
-ठगी के शिकार व्यक्ति बैंक जाते हैं, तो बैंक प्रबंधन एक्शन लेने के बजाय साइबर सेल भेज देते हैं
साइबर सेल के अलावा ऑनलाइन ठगी के मामलों की जांच के लिए साइबर रेंज थाना में भी अलग टीम तैयार किया गया है। इसमें टीआई मनोज नायक के अलावा दर्जन भर से अधिक पुलिसकर्मियों की टीम है। साइबर सेल में आने वाले ठगी के कई मामलों को साइबर रेंज थाना में जांच के लिए भेजा जा रहा है। इससे साइबर सेल में वर्कलोड कम होगा।
रायपुर डीएसपी-क्राइम संजय सिंह ने बताया - साइबर ठगी के अधिकांश मामले युवाओं से जुड़े हैँ। बैंक में केवायसी सिस्टम को काफी मजबूत करने की जरूरत है। अक्सर साइबर ठग पहले एक खाते में पैसा ट्रांसफर करते हैं। वहां से फिर अलग-अलग बैंक खातों में भेजते हैं। इन खातों की जानकारी मिलने में देरी होती है। इससे जांच भी प्रभावित होती है। बैंक वालों से इस संबंध में चर्चा की जाएगी।
Published on:
29 Jul 2024 10:18 am
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