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सरकारी स्कूल के बच्चे कर्सिव राइटिंग में करते हैं होमवर्क, जुनून ऐसा कि जल्द बोलने लगेंगे फर्राटेदार इंग्लिश

इंग्लिश में पढऩे को लेकर बच्चों का ऐसा जुनून है कि जल्द ही फर्राटेदार इंग्लिश में बोलना भी सीख जाएंगे।

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CG News

सरकारी स्कूल के बच्चे कर्सिव राइटिंग में करते हैं होमवर्क, जुनून ऐसा कि जल्द बोलने लगेंगे फर्राटेदार इंग्लिश

रायपुर. सरकारी स्कूल सुनते ही ज्यादातर लोगों के जेहन में खस्ताहाल पढ़ाई का माहौल नजर आने लगता है। चाहे जिनती भी कायाकल्प कर लें पढ़ाई व्यवस्था को कोसने वालों की कमी है। लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि राजधानी से लगे प्राथमिक स्कूल सोंडरा के बच्चे फर्राटेदार कर्सिव राइटिंग में होमवर्क पूरा करते हैं। साथ ही अब धीरे-धीरे बोलना भी सीख रहे हैं। इंग्लिश में पढऩे को लेकर बच्चों का ऐसा जुनून है कि जल्द ही फर्राटेदार इंग्लिश में बोलना भी सीख जाएंगे।

काबिलियत देख होती है खुशी
राजधानी से महज 15 किलो मीटर दूर स्थिति सोंडरा प्राथमिक स्कूल के क्लास 2 के बच्चों में इंग्लिश बोलने, पढऩे और लिखने को लेकर उनमें जबरदस्त उत्साह है। टीचर यशवंत साहू ने बताया कि सालभर में ही क्लास 2 के बच्चे कर्सिव राइटिंग में लिखना सीख गए। आज उनके माता-पिता के साथ-साथ गांव के अन्य लोग भी बच्चों की इस काबिलीयत को देखकर गर्व से उनका सीना फूल जाता है।

बदलनी है लोगों की सोच
टीचर यशवंत ने बताया कि लोग अक्सर प्राइवेट स्कूल को महत्व देते हैं। सरकारी स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था को लेकर हमेशा कोसते हैं। ऐसे में लोगों की सोच बदलने के लिए गांव के लोगों के जनसहयोग से स्कूल की सूरत बदली। बाहर से देखने में जरूर सरकारी स्कूल का एहसास होगा। लेकिन यहां का वातावरण और बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि प्राइवेट स्कूल भी मात दे जाएगा। पहली से 5 क्लास तक के बच्चे इंग्लिश लिखने के साथ-साथ धीरे-धीरे बोलना भी सीख रहे हैं।

टीचर की मेहनत रंग लाई
रायपुर रामनगर निवासी यशवंत साहू को सालभर पहले मीडिल क्लास के बाद प्राइमरी स्कूल के बच्चों का पढ़ाने की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने बताया कि मन में ये बात सामने आई कि जब प्राइवेट स्कूल के बच्चे अच्छी-खासी इंग्लिश में पढऩा, बोलना और लिखना सीख लेते हैं तो सरकारी स्कूल के बच्चे भी क्यों नहीं कर सकते। इसी जुनून के साथ बच्चों को इंग्लिश पढ़ाना शुरू किया। सालभर में ही बच्चे कर्सिव राइटिंग में लिखना सिख गए। अब धीरे-धीरे बोलना और पढऩा भी सीख जाएंगे।

Story By- चंदू निर्मलकर