
ग्रीन नोबेल विजेता ने पीएम मोदी से मांगा रिवाल्वर लाइसेंस, मेरे साथ कभी भी हो सकती है अनहोनी
राजकुमार सोनी/रायपुर. छत्तीसगढ़ में अंधाधुंध कोल खनन से निपटने में ग्रामीणों की मदद करने वाले ग्रीन नोबेल विजेता रमेश अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाते हुए एक रिवाल्वर लाइसेंस की मांग की है। प्रधानमंत्री को लिखे एक खत में ग्रीन नोबेल विजेता ने कहा है कि वे देश के शांतिप्रिय नागरिक हैं, लेकिन उन्हें रिवाल्वर सिर्फ इसलिए चाहिए, ताकि वे अपने जान-ओ-माल की रक्षा कर सकें।
एक करोड़ पांच लाख का पुरस्कार
गोल्डमैन एनवायरमेंट फाउंडेशन का प्रतिष्ठित ग्रीन नोबेल पुरस्कार वर्ष 2014 में रायगढ़ निवासी रमेश अग्रवाल को सैन फ्रांसिस्को में प्रदान किया गया था। इस पुरस्कार के तहत उन्हें एक लाख 75 हजार डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में एक करोड़ पांच लाख रुपए की राशि दी गई थी। प्रदेश की कई कोयला परियोजनाओं को निरस्त कराने में कामयाब रहे अग्रवाल जानलेवा हमले के बाद अपाहिज हो चुके हैं, बावजूद इसके वे अपने मिशन पर डटे हुए हैं।
पहले चल चुकी है गोली
अग्रवाल का कहना है कि अवैध ढंग से कोल खनन के मामले में रायगढ़ बदनाम रहा है। यहां उद्योग संचालित करने वाले लोग खुद को कानून और संविधान से ऊपर समझते हैं। गरीब आदिवासियों की जमीन को गलत ढंग से हथियाना आम बात हो गई है। स्थानीय प्रशासन भी इस काम में उद्योग समूहों की मदद ही करता है।
उनका कहना है कि वर्ष 2012 में जब वे अपने दफ्तर में छोटा-सा इंटरनेट कैफे संचालित किया करते थे, तब भी उन पर जानलेवा हमला किया गया था। इस हमले की भनक स्थानीय पुलिस को पहले से ही थीं, बावजूद इसके उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई थी। उनका आरोप है कि जो लोग गोली दागने आए थे, पुलिस ने उनके बचकर भाग निकलने में पूरा सहयोग दिया था।
अनहोनी की आशंका
रमेश अग्रवाल ने बताया कि उद्योग समूहों ने कई तरह के झूठे प्रकरणों में फंसा रखा है, बावजूद इसके वे पूरी शिद्दत से लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि कुछ समय पहले जब वे घरघोड़ा पेशी पर गए थे, तब कोर्ट परिसर में ही कुछ लोगों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया था। अब भी जब वे कभी बाहर निकलते हैं, तो मुंह पर कपड़ा बांधकर कुछ अज्ञात लोग उनका पीछा करते हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें जान से मारने के लिए दोबारा किसी अवसर की तलाश की जा रही है। प्रधानमंत्री को लिखे खत में अग्रवाल ने बताया कि उनके द्वारा रिवाल्वर का लायसेंस लेने के लिए 29 दिसम्बर 2012 को जिला कलक्टर को आवेदन दिया गया था, लेकिन आठ साल बाद उन्हें यह सूचना दी गई है कि लायसेंस इसलिए नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उनके खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध हैं।
Published on:
19 Jan 2018 05:25 pm
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