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स्कूलों में 100 करोड़ के टैबलेट बांटे, कहीं खराब पड़े हैं तो कहीं दिख रहा अश्लील चित्र

छत्तीसगढ़ के 55 हजार स्कूलों में टैबलेट पीसी के माध्यम से मानिटरिंग और छात्रों सहित शिक्षकों की उपस्थिति की योजना कागजों तक ही सीमित रह गई है।

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विकास सोनी/रायपुर. छत्तीसगढ़ के 55 हजार स्कूलों में टैबलेट पीसी के माध्यम से मानिटरिंग और छात्रों सहित शिक्षकों की उपस्थिति की योजना कागजों तक ही सीमित रह गई है। आलम ऐसा है कि प्रदेश के कई हिस्सों में नेटवर्क की समस्या है, तो 25 फीसदी से अधिक स्कूलों में ये खराब पड़े हैं। इतना ही नहीं कुछ दिनों पूर्व इसमें अश्लील चित्र भी दिखाई देने की समस्या सुनने को मिली थी।

50 करोड़ तीन वर्ष का मेंटेनेंस
ऐसे में सभी स्कूलों में इन टैबलेटों से न तो मानिटरिंग हो पा रही है और न ही छात्रों सहित शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज हो पा रही है। ऐसे में अब भी शिक्षकों का वेतन कागजी हाजिरी से ही दिया जा रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने शालाकोष योजना के तहत स्कूलों की मानिटरिंग की योजना के लिए प्रदेश को पायलट प्रोजेक्ट के तहत चुना था। जिसमें 50 करोड़ की राशि से सभी स्कूलों में टैबलेट वितरित किए गए थे, साथ ही 50 करोड़ तीन वर्ष के मेंटेनेंस के लिए तय किए गए हैं। इसके बावजूद सटीक डाटा नहीं मिलने से इस योजना का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

राजधानी के 25 फीसदी स्कूलों में विफल
प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के अनुसार कहीं उच्च भूमि है, कहीं मैदान है तो कहीं वनांचल। ऐसे में वनांचलों व ऊंचाइयों पर स्थित जिलों (प्रमुखत: सरगुजा और बस्तर संभाग) में नेटवर्क का अभाव रहता है। वहीं, रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ए.एन. बंजारा के मुताबिक राजधानी के ही लगभग 14 सौ स्कूलों में 25 फीसदी से अधिक स्कूलों में विभिन्न प्रकार की दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में प्रदेश के सुदूर अंचलों के जिलों में इसकी स्थिति का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।

सटीक डाटा का अभाव
2017 में इसकी शुरुआत के बाद जनवरी माह तक इसके विधिवत संचालन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। जिसके लिए फरवरी माह में शिक्षकों सहित पंजीकृत छात्रों का डाटा अपलोड किया गया था। जिसके बाद नए सत्र से कई छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया और कई नए छात्रों ने स्कूलों में प्रवेश लिया, जिनका डाटा इसमें अब भी अपलोड नहीं हो सका है। ऐसे में अधिकारी यू-डाइस के तहत सभी स्कूलों का डाटा इसमें अपलोड कर व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कर रहे हैं।

वेतन अब भी रजिस्टर से
पत्रिका टीम ने पिछले दिनों राजधानी के कुछ स्कूलों का भ्रमण किया, जिसमें संत कुंवर राम कन्या शाला में टैबलेट खराब देखने को मिला। इस पर स्कूल की प्राचार्या एन.पी. खान ने बताया कि कई बार इसी तरह की समस्या देखने को मिलती है। साथ ही इसके बिगडऩे पर शिक्षकों की हाजरी रजिस्टर के माध्यम से लगाई जाती है। ऐसे में टैबलेट में खराबी के कारण शिक्षकों का संपूर्ण वेतन इससे बनता नहीं दिखाई देता है।

यू-डाइस के बाद व्यवस्था होगी दुरुस्त
लोक शिक्षण संचालनालय संचालक एस. प्रकाश ने कहा, स्कूलों के सटीक डाटा के लिए यू-डाइस के माध्यम से सभी स्कूलों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है। जिसमें 10 दिनों का समय और लगेगा। इसके बाद इसे शालाकोष में ट्रांसफर किया जाएगा। क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या से निपटने के लिए विचार किया जा रहा है, इसका विकल्प मिलते ही शिक्षकों का वेतन सहित सटीक मानिटरिंग की व्यवस्था बनाई जाएगी।

ऐसी होनी थी व्यवस्था
- छात्रों सहित शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी
- शिक्षकों के वेतन का आधार
- मध्यान्ह भोजन सहित संपूर्ण योजनाओं की जानकारी
- स्कूलों की सतत मॉनिटरिंग