Health Alert: सेहत बनाने के लिए फलों को बेहतर विकल्प माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं जाने-अनजाने रोजाना 0.65 म्यू ग्राम केमिकल फलों के जरिए खा रहे हैं। यह खुलासा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर की रिसर्च में हुआ है। दरअसल, फलों को पकाने और उनकी सेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए डीडीटी, इथरेल और जिब्रलिक का उपयोग धड़ल्ले से जारी है। यह केमिकल इतने खतरनाक हैं कि इनसे त्वचा की गंभीर बीमारियां हो सकती है।
यही नहीं टाइप-2 डाइबिटीज, पीसीओडी का खतरा भी बढ़ सकता है। सेब और अंगूर की फसल का यह मौसम नहीं है। फिर भी बाजार में दिखते हैं। बेमौसम फल बाजार में कैसे आ जाते हैं। सेब को मंडी में लाकर कई महीनों तक कोल्ड स्टोर में रखा जाता है।
इससे पहले बाकायदा इसका वैक्सीनेशन होता है ताकि ये अधिक समय तक टिके रहे। इसी तरह अंगूर को टिकाऊ बनाए रखने के लिए डाइक्लोवास 26 ईसी नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अंगूरों को सुरक्षित रखने के लिए डीटीसी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एक खतरनाक पेस्टिसाइड है।
साइंटिफिक रिपोर्ट के मुताबिक बाजार में बिकने वाले सैकड़ों फलों में तीस से अधिक पेस्टीसाइड पाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक सीमा के बाद यह पेस्टीसाइड का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए बड़ी बीमारियों को न्योता देने जैसा होता है।
कई तरह के साइड इफेक्ट
फलों के इस्तेमाल से पहले कम से कम तीन घंटे पानी में डूबाएं। मौसमी फलों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। हाइब्रीड फलों का इस्तेमाल कम से कम करें।
जानिए… किस फल में मिला कितना केमिकल
एपल - 0.6086
मैंगो - 0.6568
केला - 0.2221
अंगूर - 0.5837
गाजर - 0.3469
(मात्रा म्यू ग्राम में)
.
डॉ. गजेंद्र चंद्राकर, कृषि वैज्ञानिक, आईजीकेवी ने कहा - फलों को पकाने के लिए केमिकल इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हर रोज फल खाने वाले रोजाना 0.65 म्यू ग्राम तक केमिकल ग्रहण करते हैं। कुछ इससे बचाव के लिए सावधानियां जरूरी है। अच्छे से धोकर ही फलों का इस्तेमाल करें।
Published on:
06 Jul 2024 08:09 am