
हमारा छत्तीसगढ़ में विरासतों का भंडार, फिर भी विश्व धरोहर में शामिल नहीं
दिनेश यदु @ रायपुर. छत्तीसगढ़ में एतिहासिक कला (Historical in Chhattisgarh), संस्कृति भले ही पर्यटकों को आकर्षित करती हो, लेकिन राज्य बने 22 वर्ष हो गया हैं। अब तक एक भी स्थान को वर्ल्ड हेरिटेज (world heritage) का दर्जा नहीं मिल पाया हैं। प्रदेश के सिरपुर, आरंग में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में कई कालों का अवशेष मिलता है। वही बस्तर (Bastar) से लेकर सरगुजा तक प्राचीन कला व ऐतिहासिक धरोहर होने का बाद भी वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा पाने के लिए आज तक तरस रहा हैं।
आज से 6 साल पहले सिरपुर को यूनाईटेड नेशंस एजूकेशन, साइंस एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन ने वर्ल्ड हेरीटेज के लिए तैयार वेटिंग लिस्ट से बाहर कर दिया था। उस समय पुरातत्व विभाग को कुछ शर्त दिये गये थे। जिसे दो साल में भी पूरे नहीं कर पाये थे। प्रसिद्ध पुरातत्व सलाहकार डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि वर्ल्ड हेरीटेज में शामिल करने के लिए 2014 में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरीटेज कमेटी के पास सिफारिशें की गई थीं। कमेटी ने साल 2004-05 में तय स्टैंडर्ड को पूरा करने के राज्य को जिम्मेदारी दी थी, जिसे पूरा करने में पहल की कमी देखते हुए सिरपुर को लिस्ट से बाहर कर दिया गया। तब से अब तक के सिरपुर को वर्ल्ड हेरीटेज की वेटिंग लिस्ट में फिलहाल दोबारा शामिल नहीं किया जा सका, क्योंकि तय मानक पूरा नहीं करने के साथ सिरपुर में वैज्ञानिक विधि से खुदाई बंद करा दी गई थी। जिसके कारण आर्कलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने खुदाई के लिए इसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया था।
सिरपुर में 184 टीलों की खुदाई
सिरपुर में छठवीं शताब्दी (Sirpur in the 6th century) के 184 टीलों को खुदाई के लिए तय किया गया था, पुरातत्व विदो का मानना हैं, कि यहा पूरे दुनिया का अब तक मिला सबसे बड़ा बौद्ध स्थल हैं। सिरपुर में कई धर्मो की संस्कृति व विदेशों के साथ व्यापार के साथ यहां सोने-चांदी के गहने बनाने के सांचे, अस्पताल, बंदरगाह आदि के अवशेष मिले हैं। खुदाई से शिवमंदिर, विष्णु मंदिर, बौद्ध विहार, लक्षमण मंदिर, जैन विहार, राजमहल, बाजार के साथ यज्ञशाला, स्तूप और रहवासी मकानों के अवशेष मिले हैं। खुदाई में अवशेषों को संरक्षित करने के लिए वर्ल्ड हेरीटेज में शामिल किया जाना था।
ये भी बन सकते हैं विश्व धरोहर
सिरपुर के अलावा आरंग के भांड देवल मंदिर , बस्तर के चित्रकोट , तीरथगढ़, कुटुबसार गुफा व कैलाशगुफा वहा के आदिवासी नृत्य व जनजीवन, सरगुजा के रक्सगण्डा जलप्रपात, मैनपाट, डीपाडीह में मंदिर के मंडप में कार्तिकेय , विष्णु, महिषासुर मर्दिनी, गणेश, वराह और नंदी आदि की प्रतिमाएं, जोगीमारा पुरातात्विक-विश्व के सबसे प्राचीन भित्तिचित्र, सीता बंगरा नाट्यशाला सहित प्रदेश में और भी क्षेत्रों में धरोहर है।
ये हैं मानदंड
साइंटीफिक तरीके से तय टीलों की खुदाई, एंटीक का साइंटीफिक और केमिकल के तहत प्रीजर्ववेशन, सौ मीटर का दायरा में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण ना हो, दो मीटर के क्षेत्र में निर्माण के लिए शासन की परमिशन के हो, सुविधायुक्त म्यूजियम, पुरातात्विक जगहों के चारों तरफ विकास जरूरी, केंद्र सरकार की परमिशन लेकर खुदाई को निरंतर हो, पर्यटको के लिए रहने और खाने व आवाजाही की सुविधा।
वर्ल्ड हेरीटेज में भारत की 40 जगहें
वर्ल्ड हेरीटेज में अब तक देश के 40 जगहें शामिल हैं। भारत के पर्वतीय रेलवे-दार्जिलिंग, नीलगिरी, शिमला, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश(1999-2005-2008), बिहार-महाबोधि मंदिर(2002), नालंदा (2016), दिल्ली- .हुमायूं का मक़बरा (1993), क़ुतुब मीनार(1993),लाल किला(2007), राजस्थान के पहाड़ी किले (2013), जयपुर (2019), केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1985), जंतर – मंतर (2010)- उत्तर प्रदेश के आगरा का किला(1983), ताज महल(1983), फतेहपुर सीकरी(1986, महाराष्ट्र-अजंता की गुफाएं (1983), एलोरा की गुफाएं(1983).एलीफेंटा की गुफाएं (1987), विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको (2018),छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (2004) गुजरात-अहमदाबाद शहर (2017), धोलावीरा (2021), चंपानेर-पावागढ़ पार्क(2004) गुजरात रानी की वाव(2014), ओड़िशा-सूर्य मंदिर (1984), मध्यप्रदेश खजुराहो के मंदिर(1986), सांची का स्तूप (1989), भीमबेटका गुफ़ाएं (2003) ,गोवा - पुराने चर्च(1986), तमिलनाडु- .महाबलीपुरम स्मारक(1984) महान चोल मंदिर(1987-2004), असम- मानस वन्यजीव अभ्यारण्य(1985), काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान(1985), कर्नाटक- हम्पी के स्मारक(1986), पट्टाकल के स्मारक(1987), चंडीगढ़- कैपिट काॅम्पलेक्स (2016), हिमाचल प्रदेश-ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान(2014), सिक्किम-कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान(2016), पश्चिम बंगाल-सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान(1987),उत्तराखंड- नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान व फूलों की घाटी(1988-2005),पश्चिमी घाट- गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल (2012),तेलंगाना- काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर (2021) में विश्व धरोहर बनाया गया हैं।
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Updated on:
17 Apr 2022 12:04 pm
Published on:
17 Apr 2022 10:02 am
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