
आरूषि को डिग्री देते सुप्रीम कोर्ट के जज प्रशांत कुमार मिश्रा और एचएनएलयू के कुलपति वीसी विवेकानंदन।
रविवार तीन बजे हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एचएनएलयू) का सातवां दीक्षांत समारोह नया रायपुर स्थित रिसॉर्ट में हुआ। इसमें यूजी-पीजी और पीएचडी के 169 छात्र रजिस्टर्ड थे जिसमें से 150 ही डिग्री लेने पहुंचे। चीफ गेस्ट सुप्रीम कोर्ट के जज अनिरुद्ध बोस थे। अन्य अतिथियों में सुप्रीम कोर्ट के जज हाई प्रशांत कुमार मिश्रा, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, सीजी हाईकोर्ट के जज संजय के. अग्रवाल, पी. सैम कोशी न्यायाधीश उच्च न्यायालय तेलंगाना, जी. रघुराम, पूर्व निदेशक, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी भोपाल समेत राज्यों से शिक्षाविदों की उपस्थिति रही ।
हार्ड वर्क ने दिलाए 12 गोल्ड
अमृतसर की आरुषि कपूर ने कहा, मैंने कभी सोचा तो नहीं था कि 12 गोल्ड अचीव करूंगी, लेकिन मेहनत से कभी नहीं भागी। पढ़ाई की कोई स्पेशल स्टै्रटेजी नहीं थी, एग्जाम के तीन दिन पहले सिलेबस के की-पॉइंट पढ़ लिया करती थी। पापा नितिन कपूर बिजनेसमैन हैं और मम्मा अनु कपूर फैशन डिजाइनर। अभी मैं मुंबई में कॉरपोरेट लॉयर हूं। जूनियर्स के लिए यही कहूंगी कि हार्ड वर्क करें, जरूर सफल होंगे
सुपर मॉम से इंस्पायर हुआ, पांच उन्हीं को डेडिकेट
नया रायपुर निवासी विक्रमादित्य देवांगन (बीएएलएलबी) को में 5 गोल्ड मिले हैं। वे बताते हैं कि मेरी मॉम सुपर मॉम हैं। वे अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश हैं। उनसे ही इंस्पॉयर होकर मैंने यह फील्ड चुनी। पांचों गोल्ड उन्हीं को डेडिकेट कर रहा हूं। पढ़ाई को लेकर उन्होंने कहा कि दसवीं के बाद मैं इंजीनियरिंग नहीं करना चाह रहा था इसलिए लॉ फील्ड पर विचार किया। मम्मी ने गाइड किया और पापा का भी सपोर्ट रहा। पापा धनंजय देवांगन आईएएस हैं। उनका कहना था कि जिस फील्ड में रुचि हो वही पढ़ो। अपनी स्टडी स्ट्रैटेजी बताते हुए कहा कि मैं रोजाना दो से तीन घंटे पढ़ा करता था और उस समय कोई दूसरा काम नहीं। नए छात्रों के लिए कहा कि सपनों को फॉलो करें। लगन के साथ पढ़ाई करें, सफलता मिलेगी।
नॉन एनएलयू बैकग्राउंड, मास्टर्स में झटके तीन गोल्ड
जगदलपुर की प्रभूलीन कौर (एलएलएम) को तीन गोल्ड मिले हैं। वे बताती हैं, जिस दिन से फस्र्ट सेमेस्टर का रिजल्ट उसी दिन सोच लिया था कि गोल्ड मिलेगा। मैं अपने घर से थर्ड जनरेशन लॉयर हूं। दादा-दादी ने भी लॉ किया था। पापा राजेंद्र सिंह नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के अंडर काम करते हैं। मम्मी कंवलजीत हाउस वाइफ है। डेली पढ़ाई के अलावा एडिशनल जजमेंट और रिसर्च पेपर के चलते यह सफलता मिली है। आगे मैं ज्यूडिशयरी में जाना चाहूंगी। मैं नॉन एनएलयू बैकग्राउंड से हूं। इसलिए शुरुआती दिनों में कॉन्फिडेंंस कम था। मेरे लिए टेक्नोलॉजी और लॉ बिल्कुल नया सब्जेक्ट था। इस टॉपिक की ज्यादा बुक्स भी अवलेबल नहीं है। टीचर्स और दोस्तों ने काफी सपोर्ट किया।
एक ही रात में बदला निर्णय
चेन्नई की श्रेया को दो गोल्ड मिले हैं। वे बताती हैं, मैं इंजीनियरिंग करने वाली थी लेकिन एक रात में विचार बदल गए और इस क्षेत्र में आना तय किया। मैं अभी मुंबई में कारपोरेट लॉयर हूं। पापा मर्चेंट नेवी में हैं जबकि मम्मी होम मेकर।
इन्हें भी मिले गोल्ड
साक्षी झा - 4
आयुष अग्रवाल- 2
बार्बी भट्टाचार्य- 2
अनोमित्रा देबनाथ - 1
दीक्षा सिंह - 1
कनिका भखना - 1
मद्री चांडक - 1
पुलस्त्या पांडे - 1
श्रुति सिंह - 1
स्वप्निल थवाने- 1 (एलएलएम)
सुप्रीम कोर्ट के जज बोले- हार्ड वर्क करने वाले कभी फेल नहीं होते
डिग्री होल्डर्स को एड्रेस करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज अनिरुद्ध बोस ने कहा कि छात्रों की सफलता कैंपस सलेक्शन से नापी जाती है जो शायद लॉ इंस्टीट्य़ूट के लिए सही नहीं है। हमारे पास कॅरियर ऑप्शन कम होते थे। प्रैक्टिस करो या सर्विस में जाओ। अब ज्यूडिशयरी में भी कई ऑप्शन हैं। लगभग 25 हजार पोस्ट खाली हैं। अच्छी बात ये है कि महिलाएं भी लॉ में आगे आ रही हैं। 36 फीसदी लेडी जजेस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हैं। आगे कहा कि मैंने कई ऐसे टैलेंटेड लॉयर देखे हैं जो आगे जाकर सफल नहीं हो पाते, इसकी वजह ये है कि वे प्रेशर नहीं झेल पाते मैंने अपनी जिंदगी में खूब मेहनत करने वाले लॉयर्स को कभी फेल होते नहीं देखा मेरे पास एक भी सिंगल एग्जांपल नहीं है। हर कोई वकील टॉप टेन में नहीं आता लेकिन मेहनत करने वाला कभी फेल नहीं होता
Published on:
18 Dec 2023 12:11 am
बड़ी खबरें
View Allरायपुर
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
