
रायपुर . छत्तीसगढ़ के इन गांवों में होली मनाना अशुभ माना जाता है। अगर किसी ने गलती से भी रंग-गुलाल उड़ा दिया तो उसकी मौत होनी पक्की है। 100 साल पहले एक जमींदार ने होली खेलकर यह गलती कर दी थी। इसके लिए उसे अपनी जान गंवानी पड़ी। दरअसल यह खौफनाक कहानी है रायगढ़ जिले के बरमकेला ब्लाक के हट्टापाली समेत छिंदपतेरा, मंजूरपाली, जगदीशपुर, अमलीपाली की। यहां के लोगों की रंग खेलने की इच्छाओं पर अनहोनी का भय हावी है। पढि़ए ये खौफनाक कहानी..
लगभग 100 साल से यहां पर न तो रंग लगाया जाता है, न गुलाल उड़ाए जाते हैं, फागुन के गीत इस गांव में वर्जित है। गांव के बुजुर्गों का कहना है, उन्हें भी ये नहीं मालूम है कि कब से होली नहीं मनाई जा नही रही है, पर जबसे उन्होंने होश संभाला व अपने पूर्वजों से पूछा तो गांव में होली नहीं मनाने की बात कही गई। पूछताछ में पता चला, कई दशकों पहले गांव में होलिका दहन पर पास के जंगल से एक शेर गांव में आ गया और गांव के गौटिया (जमींदार) को उठा ले गया था।
बैगा को आया था सपना
घटना के दूसरे वर्ष गांव के बैगा को एक सपना आया और उस सपने में यह कहा गया कि गांव में मंजुरपलिहिन देवी की स्थापना करो और उसकी पूजा करो, साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि गांव में अब से होली का त्योहार नहीं मनाना है। इसके बाद गांव में बैठक हुई और इस सपने पर चर्चा की गई फिर ग्रामीणों ने इस पर्व को नहीं मनाने का निर्णय लिया। इस कहानी को बुजुर्ग तो बुजुर्ग बच्चे भी पूछने पर दोहराते हैं। इसके बाद से उस गांव में अब तक रंग और पिचकारी का उत्सव नहीं मन सका है।
हट्टापाली के छुटकू राम ने बताया कि हमारे गांव में दादा, परदादा के आगे के जमाने से होली नहीं मनाई जाती है। कहा जाता है कि होली के दिन गांव के गौटिया को बाघ उठा ले गया था। इसके बाद बैगा को सपना आया और तब यह निर्णय लिया गया कि अब से होली नहीं मनाई जाएगी।
Updated on:
12 Mar 2018 04:35 pm
Published on:
01 Mar 2018 03:06 pm
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