
कई बार हम सुनते हैं कि कान का परदा फट गया। लेकिन इसका कारण या आशय आदि नहीं समझ पाते।
कई बार हम सुनते हैं कि कान का परदा फट गया। लेकिन इसका कारण या आशय आदि नहीं समझ पाते। दरअसल हमारे मध्यकर्ण से अंत:कर्ण के बीच एक त्रिस्तरीय पर्दानुमा संरचना होती है जिसे चिकित्सकीय भाषा में टिम्पैनिक मेम्ब्रेन या ईयरड्रम कहते हैं। कोई भी ध्वनि इस पर्दे पर जो कंपन पैदा करती है वही छोटी हड्डियों के माध्यम से भीतरी कान तक पहुंचती है। भीतरी कान से यह ध्वनि मस्तिष्क तक पहुंचती है, तब हम सुन पाते हैं यानी इस ध्वनि का अर्थ निकाल पाते हैं। किसी कारणवश कान का पर्दा फट जाए तो मध्यकर्ण में इंफेक्शन के साथ-साथ श्रवणशक्ति भी खत्म हो सकती है।
बरतें सावधानी
साधारण सी दिखने वाली सर्दी-जुकाम भी कभी कभी कानों के लिए नुकसानदायी बन जाती है। इसलिए लंबे समय तक सर्दी जुकाम रहे तो नजरअंदाज न करें। उसका समुचित इलाज करवाएं। बच्चा कान में दर्द की शिकायत करे तो खुद ही चिकित्सा करने या कान में तेल आदि डालने की भूल न करें। ईएनटी डॉक्टर की सलाह लें। कान में बड्स, माचिस की तिल्ली, बड्स या नुकीली चीजें न डालें। कान में समस्या हो या ऑपरेशन करवाया हो तो स्विमिंग न करें।
Published on:
05 Oct 2020 08:00 pm
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