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अगर आपकी फैक्ट्री है घाटे में तो हो सकता है वास्तु दोष, करें यह बदलाव

आज हम आपको बताने जा रहे है कि वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके फैक्ट्री को कैसे लाभदायक बनाएं...

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अगर आपकी फैक्ट्री है घाटे में तो हो सकता है वास्तु दोष, करें यह बदलाव

अगर आपकी फैक्ट्री है घाटे में तो हो सकता है वास्तु दोष, करें यह बदलाव

रायपुर. आज हम आपको बताने जा रहे है कि वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके फैक्ट्री को कैसे लाभदायक बनाएं जिससे आपका कारोबार भलि-भांति ऊचाईयों को छुए। क्योंकि अगर आपका कारोबार में लगातार घाटे में है अर्थात् पैसों की बरकत नहीं हो रही है तो एेसा हो सकता है कि आप पर वास्तु दोष का असर हो जो आपके व्यापार को आगे न बढऩे दे रहा हो। तो अपनी फैक्ट्री में निम्न बदलाव करें।

* नेऋत्य कोण [दक्षिण-पश्चिम] का भू-स्तर अन्य सब दिशाओं से ऊँचा होना चाहिए तथा भवन की ऊँचाई भी उस ओर अधिक हो। भारी स्टोर नैऋत्य, दक्षिण, पश्चिम में बनायें तथा अधिकतम स्टॉक भार नैऋत्य की तरफ ही रखना चाहिए।

* प्रशासकीय भवन वायव्य या आग्नेय दिशा में बनाया जाय एवं उत्तर एवं पूर्व की चारदीवारी से दूर रखें। इसकी ऊँचाई मुख्य कारखाने की ऊँचाई से हमेशा कम होनी चाहिए ।

* कर्मचारियों के आवास वायव्य में बनाये जाये। यदि कवार्टर बहुमंजिला बनाना हो तब भी इसकी ऊंचाई मुख्य कारखाने से किसी भी हालत में अधिक ऊँची नही होनी चाहिए

* शौचालय भवनों के वायव्य ,पश्चिम या दक्षिण हिस्से में बनाना चाहिए

* छत के उपर पानी की टंकी नैऋत्य कोण में बनानी चाहिए

* फेक्टरी शेड के अंदर भारी मशीनरी नैऋत्य पश्चिम, दक्षिण में लगाई जाय।

* फेक्टरी के अंदर मॉल को घडी की दिशा में तैयार करनी चाहिए

* मशीनों को फेक्टरी शेड में इस तरह से लगाना चाहिए जिससे तैयार मॉल वायव्य कोण की ओर इकट्टी हो -निर्मित वस्तु (तैयार माल) को वायव्य दिशा में रखने से जल्दी से जल्दी बिकने की सम्भावना होती है ,क्योंकि इस कोण का तत्व वायु है जो की अस्थिर प्रवृति का होता है

* वे ब्रिज [तौल काँटा] उत्तर या पूर्वी दिशा में रखा जा सकता है।

* अग्नि से चलने वाले सारे सामान जैसे ट्रांसफार्मर, जनरेटर, मोटर, बॉयलर, भट्टी, ऑईल इंजिन आग्नेय दिशा में रखना चाहिए

* प्रसाशनिक भवन में कारखाने के मालिक का कमरा नैऋत्य कोण [दक्षिण-पश्चिम ] भाग में होना चाहिए।

* आफिस या फेक्टरी के अंदर सीढ़ी हमेशा दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण

* पश्चिम भाग में बनवानी चाहिए ,सीदी को हमेशा घडी की दिशा में घूमना चाहिए, गोदाम, भण्डार कक्ष या स्टोर रूम दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण या पश्चिम में होना चाहिए।

* कैशियर को हमेशा उत्तर की दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए। कैश बॉक्स को हमेशा दाएं हाथ से उत्तर दिशा की ओर खोलनी चाहिए।

* कैश बाक्स में कुबेर ,महालक्ष्मी और स्फटिक के श्री यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।

* फेक्टरी शेड में प्रवेश करने के लिए लाभदायक द्वार पूर्व या उत्तर मध्य में बनाना चाहिए

* तेल भंडार यदि जमीन से उपर रखना हो तो आग्नेय या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। तेल भंडार यदि जमीन से नीचे रखना हो तो वायव्य दिशा में होना चाहिए।

* जल शुद्धिकरण सयंत्र यदि जमीन से निचे हो तो उसे फेक्टरी के पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए।

* जल शुद्धिकरण सयंत्र यदि जमीन से उपर हो तो उसे फेक्टरी के वायव्य दिशा में रखना चाहिए।