
यहां मनमाने तरीके से चल रहा ब्याजखोरी का धंधा, प्रशासन के पास लाइसेंस चेक करने की भी फुर्सत नही
रायपुर . राजधानी में सूदखोरी का धंधा गुंडे-बदमाशों के हाथों आ गया है। मजबूरी का फायदा उठाकर 10 से 20 प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज देते हैं। मूलधन और ब्याज देने के बाद भी वसूली का खेल चलता रहता है। इसके लिए सूदखोर गुंडे-बदमाशों की मदद लेते हैं। एेसे लोगों के खिलाफ पुलिस और जिला प्रशासन कोई सख्त कार्रवाई नहीं करती।
सूदखोरों के लाइसेंस की वैधता और शर्तों की भी जांच नहीं करती। इसके चलते शहर में ब्याज का गोरखधंधा फलफूल रहा है। ब्याज दरों के शासकीय प्रावधानों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। गुंडागर्दी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
ब्याज में कर्ज देने के लिए शासन की ओर से सूदखोरी का लाइसेंस दिया जाता है। नियम व शर्तों का उल्लेख होता है। ब्याज की दरें भी तय होती हैं। इसमें आम लोगों की सुविधाओं और समस्याओं का ध्यान रखा गया है, लेकिन अधिकांश सूदखोर नियम-शर्तों का पालन नहीं करते हैं और जमकर वसूली, ब्याजदर में मनमानी करते हैं। जिला प्रशासन और पुलिस इनकी जांच नहीं करती है।
करीब पांच माह पहले एक ठेकेदार ने ब्याज पर रूबी सिंह से कर्ज लिया था। ठेकेदार ने ब्याज और मूल दोनों चुका दिया। इसके बाद भी सूदखोर की वसूली जारी थी। अतिरिक्त रकम नहीं देने पर रूबी ने अपने साथियों के साथ मिलकर ठेकेदार को खुलेआम जमकर पीटा। पुलिस ने रूबी को गिरफ्तार कर लिया।
टाटीबंध में बृजेश सिंह ने लखविंदर सिंह उर्फ लक्की वालिया से ५० हजार कर्ज लिया था। बदले में लखविंदर ने बृजेश के नाम से दो खाली चेक पास रख लिए। कर्ज और ब्याज चुकाने के बाद भी लखविंदर ने चेक वापस नहीं किया। मांगने पर बृजेश के ऊपर लाइसेंसी रिवाल्वर तान दी थी। २५ जुलाई को थाने में इसकी शिकायत की गई।
रायपुरा इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में शनिवार को केंद्रीय विद्यालय के शिक्षक छत्तूराम सूर्यवंशी से पैसा लेने कर्ज देने वाला पवन जैन पहुंचा। दोनों के बीच कुछ विवाद हुआ। इसके बाद छत्तूराम जमीन पर गिर पड़े। इससे उनकी मौत हो गई। मृतक द्वारा ब्याज पर उधार लिए जाने का पता चला है। पुलिस जांच कर रही है।
कर्ज के लिए जारी सूदखोरी के लाइसेंस नियमों व शर्तों के उल्लंघन की जानकारी होने के बाद भी पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है। लाइसेंस रद्द करने संबंधी कार्रवाई नहीं की जाती। रूबी सिंह के खिलाफ राजेंद्र नगर थाने में मामला दर्ज हुआ था। इसी तरह आमानाका में लखविंदर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। दोनों के सूदखोरी के लाइसेंस की जांच नहीं की गई और न ही शर्तों के उल्लंघन पर लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया की गई।
ब्लैंक चेक, स्टॉप लिखवाते हैं सूदखोर कर्ज देने के एवज में पीडि़त से खाली चेक या स्टाम्प पेपर लिखवा लेते हैं और उनकी मजबूरी के हिसाब से 10 से 20 फीसदी ब्याज दर लगाते हैं। कुछ लोग 30 फीसदी तक भी लेते हैं। सूदखोरों का सुनियोजित गिरोह चल रहा है।
Published on:
07 Aug 2018 09:27 am
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