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छत्तीसगढ़ में ग्रेजुएट नहीं, सिर्फ 11वीं पास के बाद ही बन गए अपर, संयुक्त और उप सचिव

locationरायपुरPublished: Jun 14, 2018 04:46:16 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

अफसरों की कमी से जूझ रही मोदी सरकार ने संयुक्त सचिव के पद पर केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र से जुड़े लोगों की सीधी भर्ती का फैसला किया है।

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छत्तीसगढ़ में ग्रेजुएट नहीं, सिर्फ 11वीं पास के बाद ही बन गए अपर, संयुक्त और उप सचिव

राजकुमार सोनी/रायपुर. अफसरों की कमी से जूझ रही मोदी सरकार ने संयुक्त सचिव के पद पर केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र से जुड़े लोगों की सीधी भर्ती का फैसला किया है। इस महत्वपूर्ण पद पर भर्ती का एक पैमाना योग्यता और क्षमता के साथ ‘ग्रेजुएट’ होना भी तय किया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है। यहां 11वीं या हायर सेकण्डरी की परीक्षा में उत्तीर्ण सैकड़ों अधिकारी अपर सचिव, संयुक्त सचिव और उप सचिव बने हुए हैं।
एक अप्रैल 2018 को सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी की गई पदक्रम सूची में जो दर्शाया गया है, उसके मुताबिक आवास एवं पर्यावरण विभाग में पदस्थ अपर सचिव रेजीना टोप्पो की शैक्षणिक योग्यता हायर सेकण्डरी है। जल संसाधन विभाग के याकुब खेस्स और आदिम जाति अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में पदस्थ एमएम मिंज भी हायर सेकण्डरी ही उत्तीर्ण हैं।
राजभवन सचिवालय में पदस्थ आरके स्वस्तिक के अलावा मंत्रालय में पदस्थ जीआर मालवीय, एसके चौधरी, सहतरूलाल आदिले, भगवान सिंह कुशवाह, एनडी कुन्दानी, प्रभुदयाल पुरविया उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं, मगर इनकी शैक्षणिक योग्यता भी हायर सेकण्डरी ही है। सामान्य प्रशासन विभाग में पदस्थ रामप्रसाद राठिया जो उप सचिव हैं, वे बीए हैं, जबकि इसी विभाग के एमआर ठाकुर एमए एलएलबी हैं। लोक निर्माण विभाग के मदनलाल ताम्रकार बीकॉम उत्तीर्ण है। इसके अलावा मंत्रालय में पदस्थ 45 अवर सचिव में से 22 ऐसे हैं, जिनकी शैक्षणिक योग्यता भी हायर सेकण्डरी ही है।

विरोध भी समर्थन भी
केंद्र के 10 मंत्रालयों और विभागों में ‘लैटरल एंट्री’ का यह कहते हुए विरोध चल रहा है कि इससे यूपीएससी जैसी संवैधानिक संस्था बरबाद हो जाएगी। यहां छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में भी अफसर दबी जबान से इसका विरोध करते दिख रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक अफसर ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा का पद भी उप सचिव से प्रारंभ होता है, इसलिए इस पद पर छह साल से अधिक समय तक बाहरी क्षेत्र में तैनात और अनुभवशील डिप्टी कलक्टरों को पदस्थ करना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। दूसरी ओर, बहुत से अफसर लैटरल एंट्री के समर्थन में भी हैं। राजस्व मामलों के जानकार एक अफसर का कहना है कि केंद्र सरकार जो कुछ अभी कर रही है, वह छत्तीसगढ़ के लिए कोई नया नहीं है।

सचेत होगी ब्यूरोक्रेसी
पूर्व चीफ सेक्रेटरी और मुख्यमंत्री के प्रशासनिक सलाहकार सुनील कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के 600-700 पद हैं। यदि 10 विभाग के लिए संयुक्त सचिव के पदों पर प्रयोग हो रहा है, तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। यह प्रयोग कोई नया नहीं है। आर्थिक मामलों के जानकार और सलाहकार मनमोहन सिंह भी केंद्र में संयुक्त सचिव थे। मंटोक सिंह अहलूवालिया और आरपी शाही सीधे सचिव बनाए गए थे।

बात चाहे छत्तीसगढ़ की हो या बाहर की… मुझे लगता है कि इस प्रयोग से ब्यूरोक्रेसी थोड़ा सचेत होगी। वह खुद को काम्पीटिशन के लिए तैयार करेगी। भर्ती वस्तुनिष्ठ और पारदर्शी होनी चाहिए। जहां तक छत्तीसगढ़ के मंत्रालय में हायर सेकण्डरी उत्तीर्ण लोगों के संयुक्त सचिव और उप सचिव बनने का सवाल है, तो किसी को पदनामित और किसी को पदोन्नति के जरिए तरक्की मिली है।
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