6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

क्या आपका बच्चा भी हो रहा है चिड़चिड़ा और गुस्सैल?

इन बातों को ध्यान में रखकर बदल सकते हैं उसकी आदत

2 min read
Google source verification
क्या आपका बच्चा भी हो रहा है चिड़चिड़ा और गुस्सैल?

क्या आपका बच्चा भी हो रहा है चिड़चिड़ा और गुस्सैल?

बच्चों में चिड़चिड़ापन और उनके गुस्सैल स्वभाव को अनदेखा नहीं करना चाहिए। कई माता-पिता को लगता है कि वक्त के साथ बच्चों की यह आदत अपने आप चली जाएगी लेकिन कई सर्वे के मुताबिक बच्चों में यह आदत आगे जाकर और बड़ी बन सक सकती है। वहीं, कभी-कभी यह आदत उनके व्यक्तित्व का हिस्सा भी बन सकती है। ऐसे में आप अगर छोटे बच्चों के माता-पिता हैं, तो आपको कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए।

हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को कम करते हैं ये घरेलू उपाय

मनोचिकित्सक कहते हैं, माता-पिता को बच्चे की गलत आदतों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उसके कारणों को जानने की कोशिश करनी चाहिए। संभव है कि खेलकूद न कर पाने या स्कूल में कोई विषय न समझ आने के कारण या फिर दोस्तों के बीच झगड़ा व नाराजगी के कारण बच्चा चिड़चिड़ा व्यवहार कर रहा हो। माता-पिता की अटेंशन पाने के लिए भी बच्चा छोटी बातों पर गुस्सा होने लगता है।

अब घर बैठे ही मिलेगा जाति और निवास प्रमाण पत्र

कैसा रखें अपना व्यवहार
बच्चों को ज्यादा से ज्यादा खेलकूद और बाहरी एक्टिविटीज में व्यस्त रखना जरूरी होता है। बच्चे को डांस या आर्ट क्लास में भेज सकते हैं। समय-समय पर उन्हें आउटडोर गेम्स खेलने के लिए बाहर ले जाना भी अच्छा है। इससे बच्चे की अतिरिक्त शारीरिक ऊर्जा व्यय होगी और आत्म अभिव्यक्ति व सामाजिक व्यवहार की समझ भी विकसित होगी।

बच्चे की हर गतिविधि पर नजर रखना जरूरी है। नियमित रूप से उसकी स्कूल टीचर से मिलते रहें। इससे बच्चे के व्यवहार को समझने में मदद मिलेगी। टीचर को वजह बताते हुए बच्चे को आगे वाली सीट पर बिठाने का अनुरोध भी कर सकते हैं। यदि बच्चे को ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने के काम या किताबों को दूसरे बच्चों में वितरित करने में व्यस्त रखा जाए तो उनकी हाइपरएक्टिविटी पर काबू पाया जा सकता है।

जिले में 01 लाख 50 हजार बीपीएल राशनकार्ड धारियों को मिलेगा नि:शुल्क अरहर दाल

बच्चा यदि ज्यादा हाइपरएक्टिव है तो बच्चे की मन:स्थिति का विश्लेषण करने के लिए मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह लें। हाइपरएक्टिव बच्चों के लक्षण एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर) से काफी मिलते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों में एडीएचडी की समस्या 3-7% तक देखी गई है। इससे न केवल बच्चे के आत्मसम्मान पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि आसपास के लोगों के साथ उनके संबंध भी प्रभावित होते हैं। एडीएचडी एक दिमागी जैविक बीमारी है, जिसका इलाज दवाओं द्वारा किया जा सकता है। ऐसे में बच्चे को विशेष रूप से शिक्षा तथा थेरेपी दी जाती हैं, ताकि बच्चा अपने क्रोध व अतिसक्रियता पर नियंत्रण करना सीख सके।