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भूखे पेट खेतों में हल चलाने वाले भोजराम ने तय किया शिक्षाकर्मी से एसपी बनने तक का सफर

locationरायपुरPublished: Nov 18, 2019 11:49:08 am

Submitted by:

Karunakant Chaubey

ना कोचिंग और बिना किसी संसाधन के भोजराम ने 2014 में यूपीएससी क्वालीफाई करते हुए आईपीएस का पद प्राप्त किया। उन्हें पता नहीं था आईएएस बनेंगे या आईपीएस, लेकिन कड़ी मेहनत और संघर्ष के दम यह मुकाम हासिल हो सका।

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रायपुर. यह कहानी नहीं बल्कि सच्चाई और संघर्ष की मिसाल हैं। पिता के साथ अपने खेतों में काम करने वाले भोजराम पटेल ने शिक्षाकर्मी से लेकर कांकेर एसपी तक का सफर तय किया है। यह सफर आसान नहीं रहा। 2005 में शिक्षाकर्मी वर्ग-2 की नौकरी मिलने के बाद वे रूके नहीं, बल्कि यूपीएससी की तैयारी में जुट गए।

बिना कोचिंग और बिना किसी संसाधन के भोजराम ने 2014 में यूपीएससी क्वालीफाई करते हुए आईपीएस का पद प्राप्त किया। उन्हें पता नहीं था आईएएस बनेंगे या आईपीएस, लेकिन कड़ी मेहनत और संघर्ष के दम यह मुकाम हासिल हो सका।

पत्रिका से विशेष चर्चा के दौरान हमने कांकेर एसपी ने उनके संघर्ष के दिनों की यादें ताजा की। रायगढ़ जिले के छोटे से गांव तारापुर के प्राथमिक स्कूल से पढ़ाई करने और बेहद सामान्य ग्रामीण परिवार से ताल्लुक रखने वाले कांकेर एसपी की मां लीलाबाई पटेल को यह नहीं पता है कि उनका बेटा किस पद पर पहुंच चुका हैं।

मां बस इतना जानती है कि बेटा पुलिस में हैं और जब कभी कोई मुसीबत में रहता है तब बेटे को जाना पड़ता है। भोजराम कहते हैं कि मां पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उनके प्रोत्साहन और आर्शीवाद के दम पर मैं इस मुकाम पर पहुंच पाया हूं।

मां के हाथों का खाना, गलतियों पर उनकी डांट सुनना और घर में गुड्डू बनकर रहना चाहता हूं। किसी के मुसीबत में काम आने पर मेरे जाने की बात मां को पता है, यही मेरे लिए सबसे बड़ी बात हैं। पुलिस के प्रति मां के मन में बड़ा समान है। वे सिपाही को भी उतनी ही समान देती है।

कांकेर में विश्वास के जरिए विकास का लक्ष्य

राजभवन में एडीसी रहने के बाद भोजराम की पोस्टिंग बतौर एसपी कांकेर हो चुकी है। नक्सल प्रभावित जिले में कप्तानी मिलने के बाद कार्ययोजना के सवाल पर उन्होंने बताया कि लोगों के मन में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करना पहली प्राथमिकता हैं। इसके जरिए हम विकास का रास्ता तय करेंगे।

सामुदायिक पुलिसिंग, बच्चों, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों के प्रति बेहतर पुलिसिंग, जवानों की हौसला अफजाई, शहीद परिवारों की देख-रेख में मदद और पुलिस के मानवीय कार्यों को बढ़ावा सहित समाज में पुलिस और जनता के बीच खाई को खत्म करेंगे। इसमें वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन से रास्ता तय होगा।

शिक्षाकर्मी की ट्रेनिंग के दौरान बदली किस्मत

संघर्ष के दिनों के बारे में भोजराम ने बताया कि शिक्षाकर्मी के नौकरी के दौरान कई बड़े अधिकारियों से मुलाकात हुई, जिनके मार्गदर्शन में यूपीएससी की तैयारी की प्रेरणा मिली। उनके इस सफर में शिक्षक कृष्णा इजारदार, बेला महंत और रमेश भगत का विशेष योगदान रहा।

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