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बेटे से बिछडऩे के बाद मां ने भीख मांगकर जमा किए 1 लाख रुपए, 30 साल बाद केरल पुलिस ने पहुंचाया घर

असंभव के संभव हो जाने की ये कहानी दुर्ग जिले की है। जहां 30 साल पहले लापता हुई एक महिला (Missing women) पुलिस (kerala police) के मदद से अपने परिवार से दोबारा मिल सकी। जब महिला गायब हुई थी तो उसका बेटा महज 10 साल का था अब वह 40 साल का हो चुका है। उसकी बेटी 32 साल की हो चुकी है

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बेटे से बिछडऩे के बाद मां ने भीख मांगकर जमा किए 1 लाख रुपए, 30 साल बाद केरल पुलिस ने पहुंचाया घर

बेटे से बिछडऩे के बाद मां ने भीख मांगकर जमा किए 1 लाख रुपए, 30 साल बाद केरल पुलिस ने पहुंचाया घर

दुर्ग. गुमशुदा लोगों की खबरे तो आपने बहुत सी देखी और पढ़ी होगी लेकिन दुर्ग के इस मां बेटी के बिछड़ने और मिलने की कहानी किसी असम्भव के संभव हो जाने से जाने से काम नहीं है। जब वो ( (Missing women) ) लापता हुई तब उनके बेटे की उम्र दस साल और बेटियों की उम्र दो साल की थी। अब जब वो मिली हैं तो उनके बेटे और बेटी खुद मां-बाप बन चुके हैं।

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असंभव के संभव हो जाने की ये कहानी दुर्ग जिले की है। जहां 30 साल पहले लापता हुई एक महिला पुलिस के मदद से अपने परिवार से दोबारा मिल सकी। जब महिला गायब हुई थी तो उसका बेटा महज 10 साल का था अब वह 40 साल का हो चुका है। उसकी बेटी 32 साल की हो चुकी है। अब जब दशकों बाद उन्हें उनकी मां दोबारा मिली है उनकी उसकी खुशी का ठिकाना नहीं है।

ऐसे हुई घर वापसी

जानकारी के अनुसार तीन साल पहले लापता हुई महिला को केरल में पुलिस (kerala police) ने भीख मांगते हुए पकड़ा। तलाशी लेने पर उसके पास से उन्हें 1 लाख 12 हजार रुपये मिले। पुलिस को उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं लगी तो उन्होंने महिला को कोर्ट मन पेश किया। कोर्ट ने उसका इलाज कराने का आदेश दिया।

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जिसके बाद उसे केरल के त्रिशूर के मेन्टल अस्पताल में भर्ती कराया गया। धीरे धीरे महिला के स्वास्थ्य में सुधार आया तो उसने अस्पताल के कर्मचारियों को बताया कि वह छत्तीसगढ़ के नारधा जालबांधा की रहने वाली है। उसने अपना नाम केजा बाई और अपने पति का नाम पकलू बताया। यही नहीं उसने एप बेटी रत्ना का नाम भी बताया।

अस्पताल ने ये सुचना केरल पुलिस को दी और केरल पुलिस ने छत्तीसगढ़ पुलिस को पूरी घटना से अवगत कराया।नारधा व जालबांधा दुर्ग जिले में होने के कारण दुर्ग पुलिस को महिला के परिजनों को ढूंढने की जिम्मेदारी दी गयी। तमाम प्रयास के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिल पा रही थी। इसी बीच दुर्ग पुलिस ने इसकी सुचना राजनांदगांव जिले के जालबांधा व घुमका पुलिस को भी दी और उन्हें भी महिला के परिजनों को ढूंढने को कहा।

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बोरी पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में रत्ना नाम नाम की ऐसी महिला को ढूँढना शुरू किया जिसकी माँ का नाम केजा बाई है। लगातार प्रयास के बाद पुलिस को सफलता मिली। पता चला कि राजनांदगांव जिले के ग्राम बिजेतला की रत्ना नाम की महिला का नाम केजा बाई है। रत्ना के संबंध में पता चला कि उसका विवाह ग्राम परपोड़ी में हो चुका है और उसका एक भाई मोहित है।

तीस साल बाद मिला परिवार

पुलिस ने मोहित से भी संपर्क किया और उन्हें पूरी बात बताई। तब ज्ञात हुआ कि उनकी मां का नाम केजाबाई है। उसका मायके अहिवारा थाना अंतर्गत ग्राम बानबरद है। 1980 के आसपास उसने ग्राम बिजेतला के बालाराम पटेल से शादी की थी। 1987-88 में बालाराम की मृत्यु के उपरांत वह सब्जी का व्यवसाय करती थी।

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इस बीच वह सब्जी बेचने जाल बांधा जाने के नाम पर घर से निकली थी, जो नहीं लौटी। लंबे समय तक उसका कोई खोज खबर नहीं मिलने पर परिजन उसे मृत मानकर चल रहे थे। मोहित के द्वारा केजाबाई के अपनी मां होने की पुष्टि के बाद पुलिस उसे लेकर केरल गई और वहां से उसे लेकर लौट रही है।