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Chhattisgarh: जानिए छत्तीसगढ़ में ये होता है जनशिकायतों का हश्र!

छत्तीसगढ़ में 30 हजार से ज्यादा जन शिकायतों का पहाड़ खड़ा है। ना तो इनकी समय पर सुनवाई और ना ही इनके ऑनलाइन मॉनीटरिंग का सिस्टम बन पा रहा है। मुख्यमंत्री के विशेष जोर देने के बावजूद ये हाल है। यहां तक कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यालय से मिली 4 हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। इन हालातों में मुश्किल ही लग रहा है कि 1 मार्च 2022 से ऑनलाइन मॉनीटरिंग का सिस्टम बन पाएगा।

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Chhattisgarh: जानिए छत्तीसगढ़ में ये होता है जनशिकायतों का हश्र!

रायपुर: सीएम की जनचौपाल में आने इस तरह लगती थी लोगों की कतार। अब लोगों को फिर इसके शुरू होने का इंतजार है।

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सख्ती के बाद जनशिकायतों के निराकरण की दिशा में कुछ प्रयास जरूर दिखने लगे हंै, लेकिन विभाग में अभी भी शिकायतों की पेंडेंसी पहाड़ जैसी नजर आ रही है। खुद विभाग की वेबसाइट के अनुसार प्रदेश में 30 हजार से अधिक आवेदक अपनी शिकायत दूर होने व सरकारी मदद का इंतजार कर रहे हंै। इनमें से कई शिकायतें ऐसी है, जिनका निराकरण आसानी से कम समय में हो सकता था। वहीं कुछ सी शिकायतें कानूनी पहलू और जांच से जुड़ी हंै। कोरोना संक्रमण की वजह से भी शिकायतों के निपटारे की रफ्तार धीमी हुई है। वैसे अब 90 हजार से अधिक शिकायतों का निराकरण हुआ है, लेकिन इसका ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं बन पाया है।


पीएमओ से मिली 3051 शिकायतें लंबित
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली शिकायतों का भी निराकरण नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय से 3051 और राष्ट्रपति कार्यालय से मिली 1233 शिकायतें वेबसाइट में लंबित बताई जा रही है। लंबित शिकायतों में भ्रष्टाचार, कलेक्टरों के अलावा मुख्य सचिव से जुड़ी भी एक शिकायत शामिल हैं। दरअसल, प्रदेश से बहुत से लोग प्रदेश से जुड़ी शिकायतों को सीधे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास भी भेज देते हैं। राज्य स्तर से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए शिकायतों को प्रदेश सरकार के पास भेज दिया जाता है।

जब मुख्यमंत्री को करना पड़ा हस्तक्षेप
जनशिकायतों के निराकरण के मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी हस्तक्षेप करना पड़ा है। मुख्य सचिव ने फरवरी के प्रथम सप्ताह में मुख्य सचिव को निर्देशित किया था कि वे जनशिकायतों के निराकरण की ऑनलाइन मॉनिटरिंग शुरू करें। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 1 मार्च 2022 की तारीख भी तय कर दी थी। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इस दिशा में काम तो शुरू हो गया है, लेकिन डेडलाइन में ऑनलाइन मॉनिटरिंग की शुरुआत मुश्किल लग रही है।

मुख्यमंत्री की हिदायत के बाद कलेक्टर-एसपी ने शुरू की सुनवाई
मुख्यमंत्री ने अक्टूबर 2021 में प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी की बैठक ली थी। इसमें आम लोगों से जुड़ी समस्याओं को लेकर लंबी चर्चा हुई थी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर-एसपी दोनों को आम लोगों की समस्याओं की सुनवाई करने की हिदायत दी थी। इसके बाद लगभग सभी जिलों में सुनवाई होनी शुरू हो गई है। प्रदेशभर में एसपी के पास 173 और कलेक्टरों के पास 710 शिकायतें लंबित हैं। कलेक्टरों के पास सबसे ज्यादा शिकायत जशपुर और बेमेतरा जिले की हैं।

अब सीएम की जन चौपाल का इंतजार...
कोरोना संक्रमण से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हर बुधवार को अपने निवास कार्यालय में आम जनता से भेंट-मुलाकात करने जन चौपाल लगाते थे। इस दौरान प्रदेशभर के जरूरमंद और पीडि़त व्यक्ति पहुंचकर मुख्यमंत्री को अपनी समस्या बताते थे। कोरोना संक्रमण की वजह से यह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। तब से यह बंद ही है। आम जनता इस जन चौपाल के शुरू होने का बेसब्री से इंतजार कर रही है।

मुख्य सचिव का निर्देश भी बेअसर
तत्कालीन मुख्य सचिव आरपी मंडल ने फरवरी 2020 में प्रदेश के सभी विभागों और अधीनस्थ कार्यालयों में सशक्त और प्रभावी आंतरिक शिकायत निवारण प्रणाली बनाने के निर्देश दिए थे। साथ ही अधिकारियों को आम नागरिकों की शिकायतों को गंभीरता से लेने और अधीनस्थ कार्यालयों की आकस्मिक जांच करने को भी कहा था। इसके बावजूद कई विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने इस दिशा में काम नहीं किया है।