
COVID-19: छोटे बच्चों के हाथ धोने के लिए लिक्विड सोप सबसे बेहतर, सैनेटाइजर लगाने से बचें
रायपुर. कोरोना संक्रमण के प्रति बच्चे भी संवेदनशील हैं। कारण यह है कि एक तो बच्चों में बड़ों की तरह समझदारी नहीं होती। दूसरे, स्कूल बंद हैं। ऐसे में छुट्टी जैसा माहौल है। बच्चे घर बैठने के बजाय बाहर खेलने-कूदने जा रहे हैं। यह उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए बच्चों को बाहर जाने से रोकना बड़ों की जिम्मेदारी है। उन्हें घर पर ही व्यस्त रखें। उनके साथ क्वालिटी समय व्यतीत करें, जो शायद आप सामान्य दिनों में व्यस्तता के कारण नहीं कर पाते होंगे। बच्चों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए उनके हाथों की सफाई का ध्यान रखें। जब भी चल-फिर रहा है तो 2-2 घंटे में हाथ धोएं। लेकिन ध्यान रखें कि छोटे बच्चों के हाथ लिक्विड सोप या साबुन-पानी से ही धोएं। साबुन को अच्छे से साफ कर लें। सैनेटाइजर में एल्कोहल और दूसरे कैमिकल्स होते हैं। उनको एलर्जी या दुष्प्रभाव भी होते हैं। हाथ धोने के लिए लिक्विड सोप का इस्तेमाल भी बेहतर तरीका है। ढंग से हाथ धोने से करीब 99 फीसद कीटाणु निकल जाते हैं। आज बाजार में कई तरह के हैंडवाश हैं, जिन्हें इस्तेमाल किया जा सकता है। साफ व स्वच्छ हाथ ही आपको बीमारियों से बचा सकते हैं। कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोने की आदत बड़ों में ही नहीं, बच्चों के लिए भी अच्छी। इससे कई दूसरी बीमारियों से भी बचाव होगा।
लॉकडाउन: बच्चों को लगने वाली वैक्सीन को लेकर परेशान न हो पैरेंट्स
लॉकडाउन के चलते छोटे बच्चों में टीके (वैक्सीन) का समय या तो निकल गया या फिर निकलने वाला है। अभिभावक वैक्सीन को लेकर परेशान न हों। छोटे बच्चों के शुरू के टीके महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि टीका उसी दिन या सप्ताह में ही लगे। टीका समय से लगता है तो उसका असर ज्यादा होता है। कई बार थोड़ी देरी से भी लगवा सकते हंै। छह, नौ या बारह माह पर लगने वाले टीके के लिए बिल्कुल ही परेशान न हों। इनको देरी से भी लगवा सकते हैं।
बच्चों को यदि 100 डिग्री से कम बुखार है तो ज्यादा परेशान न हों
इस मौसम में छोटे बच्चों में सर्दी-जुकाम व बुखार की समस्या आम है। अगर हल्का बुखार यानी 100 डिग्री से कम बुखार है तो ज्यादा परेशान न हों। कपड़े कम कर दें। ज्यादा लिक्विड डाइट या पानी पीने को दें। अगर बुखार 100 से ज्यादा है तो केवल पैरासिटामॉल दें। आइबीप्रोफ्रेन वाली दवाइयां (दर्द निवारक) न दें। यह बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
छोटे बच्चों में निमोनिया को ऐसे पहचाने
छोटे बच्चों में निमोनिया की आशंका सबसे ज्यादा रहती है। सर्दी-जुकाम से इसकी शुरुआत होती है और बाद में फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं। अगर पैरेंट्स थोड़ी सावधानी बरतें तो इसकी पहचान वे खुद भी कर सकते हैं। जिन बच्चों को ज्यादा खांसी-जुकाम की समस्या है और जब वे गहरी नींद में सो रहे हैं तो उनके बगल में बैठ जाएं। उसकी सांसों को गिनें। इसके लिए बच्चे की पेट पर ध्यान लगाएं। बच्चे का पेट ऊपर और नीचे हो रहा है तो उसको एक सांस गिनें। सांस की रफ्तार दो माह से कम उम्र के बच्चों में एक मिनट में 60 बार से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे ऊपर गड़बड़ है। इसी तरह दो माह से एक साल तक के बच्चों की सांस 50 बार, एक से पांच साल तक के बच्चों की 40 बार और इनसे बड़े बच्चों की 30 बार से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर ज्यादा है तो डॉक्टर को बताएं।
Published on:
12 Apr 2020 07:03 pm
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