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रत्नगर्भा छत्तीसगढ़: कोरबा और सुकमा में मिले लीथियम के भंडार, प्रोसेसिंग यूनिट खुलने पर मिलेगा फायदा

Lithium reserves Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में लीथियम का भंडार मिलने की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन, प्रदेश के लिए यह खोज तभी फायदेमंद साबित होगी जब लीथियम को प्रोसेस करने की यूनिट भी यहीं खुले।

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 कोरबा और सुकमा में मिले लीथियम के भंडार

कोरबा और सुकमा में मिले लीथियम के भंडार

Lithium reserves Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में लीथियम का भंडार मिलने की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। इसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन, प्रदेश के लिए यह खोज तभी फायदेमंद साबित होगी जब लीथियम को प्रोसेस करने की यूनिट भी यहीं खुले। इससे स्थानीय स्तर पर न केवल हजारों-लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि केंद्र और राज्य सरकार को दशकों तक हजारों करोड़ों रुपए राजस्व भी मिलेगा। लीथियम प्रोसेसिंग यूनिट को खोलने में भारी भरकम निवेश है।

जानकार बताते हैं कि एक यूनिट खोलने में 30 हजार करोड़ का खर्च आएगा। इसके लिए बड़े प्राइवेट प्लेयर्स के इन्वेस्टमेंट की जरूरत है ये तभी संभव है जब सरकार इन्हें रिझा सके। मसलन यूनिट खोलने में सब्सिडी के तौर पर सहयोग और फ्री जमीन। अगर ऐसा होता है तो छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जहां लीथियम प्रोसेसिंग यूनिट खोली जाएगी। बता दें कि फिलहाल भारत के कई बड़े शहरों में लीथियम सेल असेंबली यूनिट है, लेकिन लीथियम प्रोसेसिंग यूनिट एक भी नहीं। यही वजह है कि लीथियम आयन बैटरी के लिए भारत चीन पर निर्भर है। दूसरी बड़ी समस्या प्रदेश में आईटी सेक्टर के जानकार प्रोफेशनल्स की कमी भी है।

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अभी यहां मिला है लीथियम
छत्तीसगढ़ में अभी 2 स्थानों पर लीथियम मिलने की पुष्टि हुई है। पहला कोरबा का कटघोरा है जहां मानगुरु की पहाड़ियों के आसपास लीथियम होने के प्रमाण मिले हैं। मिली जानकारी के मुताबिक यहां इस कीमती धातु को लेकर पिछले 5 सालों से सर्वेक्षण चल रहा है। इसी तरह दूसरा स्थान सुकमा है। यहां भी प्रचुर मात्रा में लीथियम होने के संकेत मिल रहे हैं। राज्य सरकार लीथियम ब्लॉक को नीलाम करने पर काम कर रही है। सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव बनाकर केंद्र को मंजूरी के लिए भेजा है। केंद्र ने राज्य सरकार को आश्वासन दिया है कि लीथियम ब्लॉक को नीलामी लायक बनाने की कार्रवाई चल रही है।

लीथियम से बैटरी बनाने के लिए सभी जरूरी तत्व प्रदेश में
बता दें कि लीथियम का इस्तेमाल मुख्य रूप से ई-व्हीकल्स, लैपटॉप और मोबाइल की बैटरियां बनाने के लिए किया जा रहा है। ये बैटरियां 2 तरह की होती हैं। पहला लिथियम एनसीएम और दूसरा लिफो 4। लीथियम एनसीएम बनाने के लिए लीथियम के साथ निकल, कोबाल्ट और मैगनीज की भी जरूरत पड़ती है, जबकि लिफो 4 के लिए लीथियम के साथ आयरन और फास्फेट चाहिए। ये सभी खनिज तत्व छत्तीसगढ़ में पहले से ही मौजूद हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ में लीथियम आयन बैटरियां बनाना ज्यादा आसान और किफायती साबित होगा।

खनिज विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर अनुराग दीवान ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर लीथियम मिलने की पुष्टि हुई है। प्रदेश में इस कीमती खनिज का कितना भंडार है, सर्वे के जरिए इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। अब तक की जांच में अच्छी-खासी क्वांटिटी में लीथियम होने के संकेत मिल रहे हैं।

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प्रोसेसिंग यूनिट खुलने से ये फायदे
धरती के नीचे लीथियम पत्थर के रूप में होता है। प्रोसेसिंग के बाद शुद्ध लीथियम प्राप्त होता है। अगर प्रोसेसिंग यूनिट छत्तीसगढ़ में खुलती है तो ई व्हीकल्स, लैपटॉप, मोबाइल और सोलर एनर्जी को इकट्ठा करने वाली लीथियम आयन बैटरियां छत्तीसगढ़ में ही बनने लगेंगी। आने वाले समय में ई-व्हीकल्स ही चलेंगे और ये इन्हीं बैटरियों से चलते हैं। यही वजह है कि लीथियम को फ्यूचर फ्यूल के रूप में देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ इसका बड़ा हब बन सकता है।

छत्तीसगढ़ के लिए गेमचेंजर
अमर पारवानी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कैट ने कहा, प्रदेश में लीथियम का भंडार मिलना छत्तीसगढ़ के लिए गेमचेंजर साबित होगा। अभी लीथियम का सबसे बड़ा भंडार चीन के पास है। ऐसे में भारत लीथियम के लिए चीन पर निर्भर है। एक बार छत्तीसगढ़ की धरती से लीथियम निकालना शुरू हो गया तो इस मामले में देश बहुत हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा। प्रदेश में उद्योगों के विकास में भी इसकी बड़ी भूमिका रहेगी क्योंकि लीथियम भविष्य की जरूरत है।