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रायपुर

इस पहाड़ी पर हुआ था भगवान गणेश और परशुराम के बीच भयानक युद्ध, आज भी मिलते हैं निशान

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का बस्तर (Bastar) जिला अपने अंदर ढ़ेरो राज छुपाए बैठे है। बस्तर (Bastar) जिले में धर्म(religion), आस्था और रहस्य से जुड़े कई प्रकार के अवशेष पाए जाते हैं। जिसका इतिहास जानकर आप हमेशा आश्चर्यचकित हो जाएंगे।

रायपुरJun 12, 2019 / 04:11 pm

Akanksha Agrawal

ganesha statue in bastar

इस पहाड़ी पर हुआ था भगवान गणेश और परशुराम के बीच भयानक युद्ध, आज भी मिलते हैं निशान

बस्तर (Bastar) के दंतेवाड़ा (dantewada) जिले के 3000 फीट की ऊंचाई पर फसरपाल पहाड़ पर विराजमान हैं ढोलकल गणेश(dholkal ganesh) । दंतेवाड़ा (dantewada) रायपुर से 350 किलोमीटर की दूरी पर है। लोगों का मानना है कि यह मुर्ति 9वीं शताब्दी में स्थापित की गई थी। ग्रेनाइट पत्थर (Granite stone) से बनी इस मुर्ति (ganesha statue) की लंबाई 3 फीट और चौड़ाई 3.5 फीट है।

ganesha statue in bastar

यहां के लोगों का मानना है कि भगवान गणेश (ganesha story) और परशुराम (parashurama) के बीच लड़ाई इसी फरसपाल की चोटी पर हुई थी। परशुराम भगवान विष्णु के अवतार (vishnu avatar) थे और शिव जी के वरदान से वो एक बड़ा युद्ध जीतकर आए थे। इसलिए परशुराम शिव जी (lord shiva) को धन्यवाद देने जा रहे थे। तभी भगवान गणेश ने उनका रास्ता रोककर उन्हे अंदर जाने से रोका। इस बात पर परशुराम और भगवान गणेश के बीच लड़ाई हो गई। युद्ध के दौरान परशुराम ने अपने लोहे के शस्त्र से गणेश जी का दांत काट दिया। इसी कारण आपने देखा होगा कि गणेश भगवान की सभी मुर्तियों में उनका एक दांत हमेशा कटा हुआ होता है।

लोगों का मानना है कि परशुराम का लोहे का शस्त्र फरसपाल की पाहाडियों में गिर गया था और कहा जाता है कि तभी से यह पहाड़ लोहे के पहाड़ बन गए हैं।

ganesha statue in bastar

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