
‘पानी बचाने की मुहिम को जल आंदोलन नहीं, जन आंदोलन बनाना चाहिए’
CG Raipur News : पानी बचाने की मुहिम को जल आंदोलन नहीं, जन आंदोलन बनाना चाहिए। पानी की जरुरत सबको है। सब लोगों को इसके बारे में विचार करने की जरुरत है। छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में अच्छा काम कर रही है। मेरे प्रयासों का सबसे ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में दिखा है। ये बातें जल संरक्षण के लिए खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़ का मंत्र पूरे देश को देने वाले पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने कहीं। वे बुधवार को रायपुर में थे। पत्रिका ने उनसे जल संचय से जुड़े कई मुद्दों पर बातचीत की, जो इस तरह है....
सवाल: पानी बचाने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?
जवाब: मेरी मां मेरी गुरु है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पानी बचाने का विचार दिया था। उनके विचार पर संघर्ष करना शुरु किया, तो भारत रत्न नानाजी देशमुख और आचार्य विनोबा भावे से प्रेरणा लेते हुए 20 साल की उम्र से यह काम कर रहा हूं।
सवाल: शुरुआती दिनों में क्या संघर्ष करना पड़ा?
जवाब: संघर्ष के शुरुआती दिनों में मैं साइकिल में माइक लगाकर पानी बचाने का संदेश देता था। पानी कैसे बचाया जाए, इसका सुझाव भी किसानों को देता था। सबसे पहले जखनी गांव के किसानों को साथ मिला। जखनी गांव में प्रयास रंग लाया, तो प्रशासन के अधिकारियों ने साथ दिया।
सवाल: आपके मुहिम का असर देश के किस राज्य में सबसे ज्यादा दिखा है?
जवाब: देश भर के लाखों किसान आज मेरे संपर्क में है। मेरे प्रयासों का सबसे ज्यादा असर छत्तीसगढ़ में दिखा है। खेतों में पानी बचाने के लिए छत्तीसगढ़ के किसानों ने मेडों के निर्माण पर बड़ा काम किया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के किसानों को बधाई।
सवाल: छत्तीसगढ़ सरकार को पानी बचाने के लिए क्या संदेश देंगे?
जवाब: छत्तीसगढ़ सरकार का नरवा,गरुवा,घुरुवा,बाड़ी प्रोजेक्ट सराहनीय है। सरकार के साथ आम लोगों को भी पानी बचाने के बारे में सोचना चाहिए। बारिश का पानी जहां-जहां गिर रहा है। उन सभी जगहों पर उसे संरक्षित करने का काम करना चाहिए।
जल संरक्षण पर कई पुरस्कार
पद्मश्री उमाशंकर पांडेय उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के जखनी गांव के निवासी हैं। उन्होंने सामुदायिक सहभागिता से उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में अनेक कार्य किए। जखनी को देश का पहला जलग्राम बनाने वाले पांडेय कोई पुरस्कार मिले हैं। वे जलयोद्धा नाम से भी जाने जाते हैं। उमाशंकर कहते हैं, जब तक स्वास्थ्य ठीक है, तब तक वर्षा जल संरक्षण की दिशा में काम करते रहेंगे। पौधरोपण करके भूजल संरक्षण का प्रयास जारी रहेगा।
Published on:
29 Jun 2023 11:09 am
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