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हॉस्पिटल में पहुंच रहे मोबाइल के मरीज, दूधपीते बच्चे भी अब हो रहे फ़ोन के नशीले… बिगड़ी मानसिक स्थिति

Mobile Addiction : माेबाइल गेम एडिक्शन व ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों को न केवल उग्र बना रहा है, बल्कि उनकी आंखें भी कमजोर कर रहा है।

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Mobile Addiction : माेबाइल गेम एडिक्शन व ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों को न केवल उग्र बना रहा है, बल्कि उनकी आंखें भी कमजोर कर रहा है। इससे पैरेंट्स चिंतित है। आंबेडकर अस्पताल व निजी अस्पतालों में ऐसे बच्चों का इलाज भी किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर काउंसिलिंग भी की जा रही है। एक अनुमान के अनुसार अब ज्यादातर घरों में एक बच्चे को पावर वाले चश्मे जरूर लग रहे हैं।

यह ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण है। जो जेनेटिक है, ऐसे केस कम ही है। बच्चों की आंख ड्राय भी हो रही है, जिससे बार-बार खुजली हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोनाकाल में जब स्कूल बंद हो गए, तब बच्चों की पढ़ाई बर्बाद न हो इसलिए ऑनलाइन क्लास के साथ कोचिंग शुरू की गई। इससे पैरेंट्स को शुरुआती राहत तो मिली, लेकिन बच्चों की यही लत अब परेशान कर रही है। इससे बच्चों की न केवल पढ़ाई प्रभावित हो रही है, वरन मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है।

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मनोरोग व नेत्र रोग विभाग में मोबाइल गेम एडिक्शन से प्रभावित व कमजोर आंख वाले बच्चों का इलाज किया जा रहा है। आंबेडकर अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल गेम से न केवल बच्चे, बल्कि बड़े भी आदी हो चुके हैं। बड़ों की आदत तो छुड़वाई जा सकती है, लेकिन बच्चों के लिए यह आसान नहीं होता।

जिस बच्चे का मोबाइल का डेटा खत्म होने के बाद उग्र हो जाता है, वह अस्पताल में भी उग्र होने लगा था। दवाइयों के बाद उसमें सुधार आ रहा है। माता-पिता के साथ बच्चे की काउंसिलिंग की जा रही है, जिससे गेम की आदत से छुटकारा दिलाया जा सके। कई बच्चे स्कूल में मोबाइल ले जा रहे हैं, ऐसे बच्चों की शिकायत स्कूलों से आ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में माता-पिता को अलर्ट रहने की जरूरत है।

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टीवी और मोबाइल में गेम से बच्चों की आंखें खराब
टीवी व मोबाइल में गेम की लत से ज्यादातर स्कूली बच्चों की आंखें कमजोर की हैं। आंबेडकर व निजी अस्पतालों के नेत्र रोग विभाग में ऐसे केस बहुतायत में आ रहे हैं। बच्चों को जब स्कूल में पीछे बिठाया जाता है, तब ब्लैक बोर्ड में लिखी बातें नहीं दिखने की शिकायत करते हैं। जब आंखों की जांच की जाती है, तब पॉवर वाले चश्मे लगाने की जरूरत पड़ रही है। डॉक्टरों के अनुसार अब बच्चे टीवी में कार्टून शो के बजाय गेम खेलते हैं। मोबाइल में भी यही करते हैं। पलकें नहीं झपकने के कारण आंखें ड्राय हो रही हैं। ऐसे में आई ड्राप भी डालने की जरूरत पड़ रही है।
टॉपिक एक्सपर्ट
मोबाइल गेम ऐसे बनाए जाते हैं, जिससे लत आसानी से न छूटें। इसमें साइकेट्रिक्ट की मदद भी ली जाती है। बच्चों के उग्र होने के केस आ रहे हैं। ऐसे बच्चों का इलाज व काउंसिलिंग किए जा रहे हैं।
- डॉ. मनोज साहू, एचओडी मनोरोग विभाग आंबेडकर अस्पताल

स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों की आंखें कमजोर हो रही है। ड्रायनेस की समस्या भी बढ़ रही है। ऐसे केस लगातार बढ़ रहे हैं। पैरेंट्स को बच्चों पर ध्यान रखने की जरूरत है, जिससे स्क्रीन टाइम कम किया जा सके।
- डॉ. संतोष पटेल, एसोसिएट प्रोफेसर नेत्र, आंबेडकर अस्पताल