भट्ट ने खुलासा किया कि इस घोटाले में बकायदा एक पूरी चैन काम रही थी। इसमें सबके अपने हिस्से थे। चेयरमैन आलोक शुक्ला को दिल्ली में घर लेना था, इसलिए इस बार बढ़ाकर एक करोड़ रुपए मांगे गए। मंत्री और एमडी के यहां 20-20 लाख गए। पूरा पैसा बांटने के लिए कोडवर्ड इस्तेमाल होता था। इनका उपयोग पैसा पहुंचाने वाले के संक्षिप्त नाम में इस्तेमाल किया जाता था। पैसे पहुंचाने में मंत्री अफसरों के स्टाफ के अलावा ड्रायवरों तक का इस्तेमाल किया जाता था। भट्ट ने कहा आज अगर मैंने यह सब राजेश मूणत और बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर जैसे मंत्रियों के लिए किया होता तो वे दो कदम आगे बढ़कर मदद करते।