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45 साल पहले आजादी के दिन इस मुस्लिम परिवार ने कराया था शिव मंदिर का निर्माण, एेसे बनी मिसाल

बाबू खान ने मंदिर समिति के सदस्य के रुप में स्वतंत्रता दिवस के दिन 15 अगस्त 1973 को शिव मंदिर की स्थापना की थी।

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45 साल पहले आजादी के दिन इस मुस्लिम परिवार ने कराया था शिव मंदिर का निर्माण, एेसे बनी मिसाल

रायपुर . आज से 45 साल पहले 15 अगस्त को जब पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा था, उस दिन चरौदा गांव का एक मुस्लिम परिवार गंगा-जमुनी तहजीब की नई इबारत गढ़ रहा था। उस दिन रायपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर इस गांव का बाबू खान परिवार शिव मंदिर का निर्माण कर उसके उद्घाटन की तैयारियों में व्यस्त था।

गांव के पूर्व सरपंच बाबू खान ने मंदिर समिति के सदस्य के रुप में स्वतंत्रता दिवस के दिन 15 अगस्त 1973 को शिव मंदिर की स्थापना की थी। उनके निधन के बाद भी मंदिर की जिम्मेदारी से यह परिवार पीछे नहीं हटा। उनका बेटा गफूर खान आज मंदिर के जीर्णोद्धार जुटा है। गफूर और उनके साथियों ने विधायकों से मिल कर १५ लाख रुपए इसके लिए जुटा लिया है। करीब 50 साल पहले बाबू खान का परिवार चरोदा में आया, तब से उनका परिवार कास्तकारी कर रहा है। गांव और लोगों के प्रति उनका सर्मपण देख कर ग्रामीणों ने उन्हें पहले पंच बनाया, फिर उप सरपंच। बाद में उन्होंने सरपंच के पद पर 1960 से 1985 तक अपनी जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने 20 अक्टूबर 1985 को जब अतिम सांस ली तब भी वो सरपंच का पदभार संभाल रहे थे।

पहली पंचवर्षीय में 1946 में जब उन्होंने पदभार संभाला तो वह रोज पांच वक्त की नमाज अता करने के साथ ही पुराने मंदिर में होने वाले कीर्तन में नियमित रूप से शामिल होते थे। एक शाम बारिश होने के कारण मंदिर के सामने की दीवार 10 फीट से ज्यादा नीचे धंस गई। इससे लोगों को मंदिर के भीतर आने-जाने में तकलीफ होने लगी। बस उसी दिन कीर्तन में बाबू खान ने घोषणा कर दी कि यहां भव्य शिव मंदिर का निर्माण करेंगे। दूसरे दिन से ही निर्माण के लिए जयपुर से कारीगरों को बुलाने के लिए खुद निकल गए और दो साल के भीतर भव्य मंदिर का निर्माण कर डाला।

बाबू खान ने हिन्दू बाहूल्य क्षेत्र देखते हुए मंदिर परिसर में ही एक संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया। जिसमें आज भी हिन्दू बच्चों को धर्म की शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा युवा साथियों के लिए व्यायाम शाला का भी निर्माण कराया।