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सोमवार को खुलेगी रहस्यमयी मंढीप खोल गुफा, अक्षय तृतीया के बाद इस दिन खुलती है यह गुफा

मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छग के सैलानियों की लगती है भीड़

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सोमवार को खुलेगी रहस्यमयी मंढीप खोल गुफा, अक्षय तृतीया के बाद इस दिन खुलती है यह गुफा

सोमवार को खुलेगी रहस्यमयी मंढीप खोल गुफा, अक्षय तृतीया के बाद इस दिन खुलती है यह गुफा

छुईखदान. जिला केसीजी के वनांचल में स्थित देश का सबसे लंबा एवं एशिया में दूसरे नंबर का सबसे लंबी गुफा मंढीप खोल 24 अप्रैल सोमवार को सैलानियों के लिए खुलेगा। शनिवार को अक्षय तृतीया का पर्व मनाने के ठीक दो दिन बाद यह गुफा का द्वार आम लोगों के लिए खुलेगी। साल में केवल एक बार अक्षय तृतीया के बाद आने वाले प्रथम सोमवार को यह गुफा खुलती है।

दूरदराज के सैकड़ों सैलानियों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। हर साल राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के पर्यटक भी बड़ी संख्या में गुफा का रहस्य और रोमांच का आनंद लेने पहुचते हैं, कुछ साल पहले पुरातत्व विभाग द्वारा इसका सर्वेक्षण किया गया था, अनुसंधान मे पाया गया कि यह गुफा देश का पहला एवं एशिया का दूसरा सबसे लंबी गुफा है तथा गुफा में इतिहास के काफी रहस्य छुपा हुआ है पर अब तक इसका विस्तृत अनुसंधान होना शेष है।

पूजा-अर्चना के बाद खुलता है गुफा का द्वार: वनांचल स्थित मंढीप खोल गुफा ठाकुरटोला जमीदारी के अंतर्गत आता है। परंपरा अनुसार यहां के राजा या उनके परिवार के सदस्य गुफा का द्वार खोलने से पहले देवी देवताओं का स्मरण कर पूजा अर्चना कर द्वार खोलते हैं। द्वार के चट्टान को हटाने से पहले हवाई फायर भी किया जाता है ताकि कोई जंगली जानवर गुफा में हो तो वह निकल जाए। गुफा में सबसे पहला प्रवेश जमींदार के परिवार के लोग करते हैं तथा गुफा में स्थित शिवलिंग सहित अन्य देवी-देवताओं का विधि विधान से पूजा अर्चना कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं।

इस रहस्यमयी गुफा के अंदर स्वेत गंगा नाम का कुंड है जिसमें नहाने से सारे कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं। स्वेत गंगा नामक कुंड में नहा कर ही गुफा में प्रवेश कर शिवलिंग का दर्शन किया जाता है। श्वेत गंगा कुंड में डुबकी लगाने के लिए लोगों की कतार लगी रहती है। बताया जाता है कि इस कुंड में साल भर पानी निकलते रहता है।

सोलह बार नदी पार करना पड़ेगा: मैकाल पर्वत श्रेणियो में स्थित मंड़ीपखोल गुफा तक पहुंचने का सफर काफी रोमांचक है। पर्यटकों के लिए यह सफर किसी रोमांचकारी से कम नहीं है। गुफा तक पहुंचने के लिए कोई स्थाई मार्ग नहीं है। पैलीमेटा ठाकुरटोला के बाद का रास्ता कहीं मैदान तो कहीं पंगडड़़ी और पहाड़ के ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होकर यहां तक पहुंचा जाता है। यहां पहुंचने के लिए सबसे खास बात एक ही नदी को अलग.अलग जगहों पर सोलह बार पार करना पड़ता है। जंगल के विभिन्न किस्म के वृक्ष एवं चट्टानी मार्ग से गुजर कर यहां पहुंचा जाता है।

गुफा में कई तरह के रहस्य: मंड़ीपखोल गुफा को रहस्यमय माना गया है। भीषण गर्मी में भी गुफा के अंदर शीतलता बनी रहती है। गुफा के अंदर का मार्ग कहीं सकरा, कहीं चढ़ाव तो कहीं पर मैदान है। गुफ के अंदर काफी अंधेरा रहता है। स्थानीय सेवा समिति द्वारा गुफी के अंदर कुछ दूरी तक रौशनी की व्यवस्था की जाती है। आगे जाने के लिए शैलानी अपने वैकल्पिक व्यवस्था का उपयोग करते हैं। रोशनी पढऩे पर चट्टान टिमटिमाने लगता है। गुफा के अंदर जगह- जगह देवी, देवता, अपसरा, जीव जन्तु की आकृति भी उभरी हुई है। अंदर जाने वालों को शाम होने से पहले बाहर आना होता है।

इस रहस्यमय गुफा की मुख्य खास बात यह है कि पूरे साल भर में केवल अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को ही या गुफा खुलती है। इस रहस्यमई गुफा में शिवलिंग की पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूरे रास्ते भर लोगों की भीड़ लगी रहती है। इस को लेकर सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी तैनात रहते हैं।