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जिसे कचरा समझते थे वह गार्डन में बनी शोभा, स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले ऐसे बदले नजारें

महिला स्व-सहायता समूहों ने कचरे से ऐसी कलाकृति बनाई कि चारों तरफ इसकी तारीफ हो रही है। कचरा और कबाड़ से बनी कलाकृति आज नगर-निगम मुख्यालय के गार्डन में शोभा दे रही है।

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जिसे कचरा समझते थे वह गार्डन में बनी शोभा, स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले ऐसे बदले नजारें

जिसे कचरा समझते थे वह गार्डन में बनी शोभा, स्वच्छता सर्वेक्षण के पहले ऐसे बदले नजारें

-- सूखे कचरे, कबाड़ के सामानों और पुराने टायर से बना डाली कलाकृति
-- महिला स्व-सहायता समूहों ने निगम गार्डन में उकेरी सुंदरता

रायपुर. स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 सिर पर हैं। एक तरफ निगम की टीम स्वच्छता अभियान में लगी है तो दूसरी तरफ कई वार्डों-मोहल्लों में अभी भी स्थिति सुधरी नहीं है। फरवरी के अंत तक नईदिल्ली से टीम आने वाली है, जिसमें निगम को साल 2021 से बेहतर रैकिंग लानी है, लेकिन इन सबके बीच राजधानी की महिला स्व-सहायता समूहों ने कचरे से ऐसी कलाकृति बनाई कि चारों तरफ इसकी तारीफ हो रही है। कचरा और कबाड़ से बनी कलाकृति आज नगर-निगम मुख्यालय के गार्डन में शोभा दे रही है।

कुछ इस तरह बनाई गई है कलाकृति , शहर के चौक-चौराहों और अन्य स्थानों पर भी ऐसी कलाकृतियों के जरिए लोगों को स्वच्छता का संदेश देने की तैयारियां जारी है।

साफ-सफाई नहीं तो भुगतना होगा परिणाम
शहरभर में साफ-सफाई को लेकर नगर-निगम ने अभियान शुरू कर दिया है। आला अधिकारियों को कहा गया है कि यदि साफ-सफाई और स्वच्छता सर्वेक्षण में लापरवाही हुई तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार करें। वर्ष 2022 में रायपुर को टॉप-10 के भीतर लाने की कवायद जारी है। हालांकि अभी भी निगम के सामने कई चुनौतियां बाकी है।

समूहों को मिली है जिम्मेदारी
राजधानी की महिला स्व-सहायता समूहों को भी स्वच्छता को लेकर जागरूकता के लिए जिम्मेदारी दी गई है। महिला स्व-सहायता समूहों की मेहनत है कि राजधानी में लगातार मास्क को लेकर जुर्माना लगाने का अभियान जारी है। राजधानी में इन समूहों को स्वच्छता सर्वेक्षण टीम के दौर के दौरान भी तैनात किए जाने की योजना है, जो कि शहर के अलग-अलग इलाकों में जिम्मेदारी संभालेगी।